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________________ ४६२ लोक-प्रज्ञप्ति तिर्यक् लोक : सूर्य की उदय-व्यवस्था सूत्र १००२ ३. (ख) ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे ३-(ख) जब जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत से पूर्व में दिन ण दिवसे भवइ, तया णं पच्चत्थिमेऽवि दिवसे भवइ, होता है तब पश्चिम में भी दिन होता है । जया णं पच्चत्थिमे गं दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे जब पश्चिम में दिन होता है तब जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं राई भवइ, पर्वत से उत्तर और दक्षिण में रात्रि होती है । ४. (क) ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे ४-(क) जब जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत से दक्षिणार्द्ध उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं उत्तर- में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी ड्ढेऽवि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है। जया णं उत्तरड्ढे उक्कोसिए अट्ठारसमुहत्ते विवसे जब उत्तरार्द्ध में उत्कृष्ट अठारह मुहुर्त का दिन होता है भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स तब जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत से पूर्व-पश्चिम में जघन्य वारह पुरथिम-पच्चत्थिमे गं जहणिया दुवालसमुहुत्ता मुहूर्त की रात्रि होती है। राई भवइ, ५. (ख) ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे (ख) जब जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत से पूर्व में उत्कृष्ट गं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया गं अठारह मुहूर्त का दिन होता है तब पश्चिम में भी उत्कृष्ट अठारह पच्चत्थिमेऽवि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, मुहूर्त का दिन होता है। जब पश्चिम में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है तब भवइ, तया गं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर- जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत से उत्तर-दक्षिण में जघन्य बारह दाहिणे णं जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, मुहूर्त की रात्रि होती है । एवं एएणं गमेणं णेयव्वं इस प्रकार इस इन सदृश पाठों से (आगे) जानना चाहिए। अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे, साइरेग-दुवालस-मुहुत्ता जब अठारह मुहूर्त से कुछ कम का दिन होता है तब बारह राई, मुहूर्त से कुछ अधिक की रात्रि होती है। सत्तरस-मुहुत्ते दिवसे, तेरस-मुहत्ता राई, ___ जब सत्रह मुहूर्त का दिन होता है तब तेरह मुहूर्त की रात्रि होती है। सत्तरस-मुहुत्ताणतरे दिवसे, साइरेग-तेरस-मुहुत्ता राई, जब सत्रह मुहूर्त से कुछ कम का दिन होता है तब तेरह मुहूर्त से कुछ अधिक की रात्रि होती है । सोलस-मुहुत्ते दिवसे, चोद्दस-मुहुत्ता राई, ___ जब सोलह मुहूर्त का दिन होता है तब चौदह मुहूर्त की रात्रि होती है। सोलस-मुहत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगे-चोद्दस-मुहत्ता राई, जब सोलह मुहूर्त से कुछ कम का दिन होता है तब चौदह मुहूर्त से कुछ अधिक की रात्रि होती है । पण्णरस-मुहुत्ते दिवसे, पण्णरस-मुहत्ता राई, जब पन्द्रह मुहूर्त का दिन होता है तब पन्द्रह मुहूर्त की रात्रि होती है। पण्णरस-मुहत्ताणंतरे दिवसे, साइरेन-पष्णरस-मुहत्ता जब पन्द्रह मुहूर्त से कुछ कम का दिन होता है तब पन्द्रह राई, मुहूर्त से कुछ अधिक की रात्रि होती है । चोद्दस-मुहुत्ते दिवसे, सोलस-मुहुत्ता राई, जब चौदह मुहूर्त का दिन होता है तब सोलह मुहूर्त की रात्रि होती है। चोद्दस-मुहत्ताणतरे दिवसे साइरेग-सोलस-मुहत्ता राई, जब चौदह मुहूर्त से कुछ कम का दिन होता है तब सोलह मुहूर्त से कुछ अधिक की रात्रि होती है। तेरस-मुहुत्ते दिवसे सत्तरस-मुहुत्ता राई, जब तेरह मुहूर्त का दिन होता है तब सत्रह मुहूर्त की रात्रि होती है।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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