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सूत्र ६३७-६३८
तिर्यक् लोक : समयक्षेत्र में ज्योतिषिकदेव
गणितानुयोग
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(४) संखेज्जा णक्खत्ता जोगं जोएंसु वा, जोगं जोएंति (४) संख्येय नक्षत्र योग युक्त रहे, योग युक्त है और योग ___वा, जोगं जोइस्संति वा,
युक्त रहेंगे। (५) संखेज्जा तारागण कोडाकोडीणं सोभं सोभिंसु वा, (५) संख्येय कोटाकोटी तारागण शोभा से सुशोभित रहे, सोभं सोभिति वा, सोभं सोभिस्सिंति वा। शोभा से सुशोभित है और शोभा से सुशोभित रहेंगे ।
-सूरिय. पा. १६, सु० १०१ समयखेत्ते जोइसिय देवा
मनुष्यक्षेत्र में ज्योतिष्क देव .... ६३८. (१) ५०–ता समयखेत्ते णं केवइया चंदा पभासेंसु वा, पभा- ६३८. (१) प्र०—मनुष्य क्षेत्र मेंसंति वा; पभासिस्संति वा ?
कितने चन्द्र प्रभासित होते थे, प्रभासित होते हैं और प्रभा
सित होंगे ? (२) ५०–केवइया सूरा तवेंसु वा, तवंति वा, तविस्संति वा? (२) प्र-कितने सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपते होंगे ? (३) प०–केवइया गहा चारं चरिंसु वा, चरंति वा, चरि- (३) प्र०—कितने ग्रह गति करते थे, गति करते हैं और स्संति वा?
गति करेंगे। (४) ५०–केवइया णक्खत्ता जोगं जोइंसु वा, जोइंति वा, (४) प्र०-कितने नक्षत्र योग करते थे, योग करते हैं और जोइस्संति वा?
योग करेंगे? (५) ५०–केवइया तारागण कोडिकोडीओ सोभं सोभेसु वा (५) प्र०-कितने कोटाकोटी तारागण सुशोभित होते थे, सोभंति वा, सोभिस्संति वा ?
सुशोभित होते हैं और सुशोभित होंगे? (१) उ०—समयखेत्ते-- .
(१) उ०—मनुष्य क्षेत्र मेंता बत्तीसं चंदसयं पभासेंसु वा, पभासंति वा, एक सौ बत्तीस चन्द्र प्रभासित होते थे, प्रभासित होते हैं और पभासिस्संति वा,
प्रभासित होंगे। (२) उ०—ता बत्तीसं सूरसयं तवेंसु वा, तति वा (२) उ०—एक सौ बत्तीस सूर्य तपते थे, तपते हैं और तविस्संति वा,
तपेंगे। (३) उ०–ता एक्कारस सहस्सा छच्च सोलस महग्गहसया (३) उ०—इग्यारह हजार छः सौ सोलह महाग्रह गति
चार चरिसु वा, चरंति वा, चरिस्संति वा, करते थे, गति करते हैं और गति करेंगे। (४) उ०–ता तिण्णि सहस्सा छच्च छण्णउया णक्खत्तसया (४) उ० -तीन हजार छ: सौ छिनवे नक्षत्र योग करते थे,
जोगं जोएंसु वा, जोएंति वा, जोइस्पति वा, योग करते हैं और योग करेंगे। (५) उ०—ता अट्टासीई सय सहस्साई चत्तालीसं च सहस्सा (५) उ०-अट्ठासी लाख चालीस हजार सात सौ कोटा
सत्त य सया तारागण कोडिकोडिणं सोभं सोभेसु कोटी तारागण सुशोभित होते थे, सुशोभित होते हैं और सुशोभित वा, सोभंति वा. सोभिस्संति वा,
होंगे। गाहाओ
गाथार्थबत्तीसं चंदसयं, बत्तीसं चेव सूरियाणं सयं । मनप्य क्षेत्र में एक सौ बत्तीस चन्द्र एक सौ बत्तीस सूर्य सयलं माणुसलोयं चरंति एए पभासेंता॥ प्रकाश करते हुए विचरते हैं । एक्कारस य सहस्सा, छप्पिय सोला महग्गहाणं तु। . इग्यारह हजार छः सौ सोलह ग्रह, तीन हजार छ: सौ छिनवे छच्च सया छण्णउया णक्खत्ता तिण्णि य सहस्सा ॥ नक्षत्र और अट्ठासीइ चत्ताई सय सहस्साई मणुयलोमि। अट्टासी लाख चालीस हजार सात सौ कोटाकोटी तारागण है। सत्त य सया अणणा, तारागणकोडिकोडीणं॥
-सूरिय. पा. १६, सु० १०० १ (क) जीवा. पडि. ३, उ. २, सु. १८० ।
(ख) चंद. पा. १६ सु. १०१ । २ (क) चंद पा. १६, मु. १००।
(ख) जीवा. पडि. ३, उ. २, सु. १७७ । (ग) भग. स. ६, उ. २, सु. ४ ।