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________________ ३३६ लोक- प्रज्ञप्ति तिर्यक् लोक अन्तरद्वीप वर्णन : १ मक्खयमिगलोम हेमवर सिंधु खसम दामिलबंग- कलिंग - नणि तंतुमयभत्तिचित्ता, वत्थविही बहुप्पकारा हवेज्ज वरपट्टणुग्गता वण्णरागकलिता, तहेव ते अणियणावि दुमगणा अणेगबहुविविहवीससापरिबताए विधी उपया -विद्धि-मूला- जावति।" उ०- गोवमा ! जंबूद्दीवे दीने मंदरस्स पचपरस दाहिन चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिण-पुरत्थि मिल्लाओ चरिमंताओ लवण समुद्द तिष्णि जोयणसयं ओगाहित्ता, एत्थ णं दाहिणिल्लाणं आभासियमणुस्साणं आभासियदीवे णामं दीव पण्णत्ते । से जहा एगुरुवाणं तहेब निरवसेसंभागिय ६२०.१० – कहिणं भंते! दाहित्लिाणं गंगोलिय-मगुस्साणं यही नाम दीये पण ? से से दसवा दुमगणा । - - ६१६. ० कहि गं भंते! दाहपिल्लानं आभासियमणुस्मा आभासियदीवे नामं दीवे पण्णत्ते ? उ०- गोयमा ! जंबूद्दीने दोधे मंदरस्स पश्चयरस दाहिणं चुल्लहिमवंतस्स वासहरपश्वयरस पच्चत्थिमिहलाओ = = (४) कालमृगपट्ट काले मृग के नर्म से बने हुए वस्त्र, (५) चीनांशुक = चीन देश के बने हुए वस्त्र, (६) सूत के बने हुए आभरणों के चित्रों से चित्रित वस्त्र, (७) सूक्ष्म तन्तुओं से निष्पन्न वस्त्र, (८) कल्याणक = उत्कृष्ट वस्त्र, (६) भृंगनील भृंग कीट जैसे नीले वस्त्र, (१०) कज्जल = वर्ण वाले वस्त्र, (११) बहुवर्ण = अनेक वर्ण वाले वस्त्र, (१२) रक्त, (१३) पीत, (१४) शुक्ल, वर्ण वाले वस्त्र, (१५) म्रक्षित = शुभ पुद्गलों से संस्कारित वस्त्र, (१६) मृग रोम और हेमसूत्रों से बने हुए वस्त्र (१७) रल्लक = राली, एक प्रकार का कम्बल, (१८) पश्चिम, (१९) उत्तर (२०) सिन्धु, (२१) ऋषभ, (२२) द्रविड, (२३) बंग, (२४) कलिंग आदि देशों में बने हुए वस्त्र, (२५) नलिन तन्तुमय वस्त्र, (२६) विशिष्ट चित्र-चित्रित वस्त्र, इत्यादि अनेक प्रकार के श्रेष्ठ वर्ण युक्त वस्त्र हैं । उसी प्रकार अनग्न नाम के दुमगण भी अनेक प्रकार के स्वभावसिद्ध वस्त्र युक्त हैं । उन वृक्षों के मूल कुश डाभ, विकुश = बल्वजघास रहित है अतएव विशुद्ध हैं । दस प्रकार के द्रुमगण समाप्त । ६१६० भदन्त दाक्षिणात्य आमासिक मनुष्यों का - हे ! आभासिकद्वीप नाम का द्वीप कहाँ कहा गया है ? सूत्र ६१८-६२० उ०- हे गौतम! जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत से दक्षिण में क्षुद्र हिमवन्त वर्षधर पर्वत के दक्षिण-पूर्वान्त के अन्तिम भाग से लवणसमुद्र में तीन सौ योजन जाने पर दाक्षिणात्य आभासिक मनुष्यों का आभासिकद्वीप नाम का द्वीप कहा गया है । शेष सब एकोकोपवासी मनुष्यों के समान कहना चाहिए। ६२० प्र० हे भदन्त दाक्षिणात्य नांगोलिक मनुष्यों का नांगोलिक द्वीप नामक द्वीप कहाँ कहा गया है ? उ० - हे गौतम! जम्बूद्वीप में मन्दर पर्वत से दक्षिण में क्षुद्रहिमवन्त वर्षधर पर्वत के पश्चिमान्त के अन्तिम भाग से (क) माहाराविहारखा (१) मतंगा व (२) भिंगा, (३) सिंगा, पेय होंति, (४) वित्तरसा (५) मणियंगा य, (६) अणियणा, (७) सत्तमगा कप्परुक्खा य ।। (ख) गाहा - दसविहा रुक्खा (१) मत्तंगाय, (२) भिंगा, (३) तुडियंगा, (४) दीव, (५) जोइ, (६) चित्तंगा । (७) चित्तरसा, (८) मणिबंदा, (९) बेहागारा, (३०) अशिवणा व ॥ (ग) जम्बु० वक्ख० २ सु० २० । विस्तृत वर्णन है । - ठाणं अ० ७ सु० ५५६ - ठाणं अ० १० सु० ७६६:
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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