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________________ सूत्र १९३-१६४ अधोलोक गणितानुयोग, ६३ wwwwwwwwwwwwwwmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm १.कए, २. रूयंसे, ३. रूयप्पभे, ४. रूयकते। १३. एवं जलकंतस्स वि १. जले, २. जलरए, ३. जलकते, ४. जलप्पभे। १४. एवं जलप्पहस्स वि १. जले, २. जलरए, ३. जलप्पभे, ४. जलकते।। १५. एवं अमितगतिस्स वि १. तुरियगई, २. खिप्पगई, ३. सोहगई, ४. सीह- विक्कमगई। १६. एवं अमितवाहणस्स वि १. रूप, २. रूपांश, ३. रूपप्रभ, ४. रूपकांत । १३. इसी प्रकार जलकांत के भी (चार लोकपाल कहे गये) हैं, यथा १. जल, २. जलरत, ३. जलकांत, ४. जलप्रभ । १४. इसी प्रकार जलप्रभ के भी (चार लोकपाल कहे गये) हैं, यथा १. जल, २. जलरत, ३. जलप्रभ, ४. जलकांत । १५. इसी प्रकार अमितगति के भी (चार लोकपाल कहे गये) हैं, यथा १. त्वरितगति, २. क्षिप्रगति, ३. सिंहगति ४. सिंहविक्रमगति । १६. इसी प्रकार अमितवाहन के भी (चार लोकपाल कहे गये) हैं, यथा १. त्वरितगति, २. क्षिप्रगति, ३. सिंहविक्रमगति, ४. सिंहगति । १७. इसी प्रकार वेलंब के भी (चार लोकपाल कहे गये) हैं, यथा १. काल, २. महाकाल, ३. अंजन, ४. रिष्ठ । १८. इसीप्रकार प्रभंजन के भी (चार लोकपाल कहे गये) हैं, यथा १. काल, २. महाकाल, ३. रिष्ठ, ४. अंजन । १६. इसी प्रकार घोष के भी (चार लोकपाल कहे गये हैं, यथा १. आवर्त, २. व्यावर्त, ३. नंदितावर्त, ४. महानंदितावर्त । १. तुरियगई, २. खिप्पगई, ३. सोहविक्कमगई, ४. सोहगई। १७. एवं बेलंबस्स वि १. काले, २. महाकाले, ३. अंजणे, ४. रिट्रे। १८. एवं पभंजणस्स वि १. काले, २. महाकाले, ३. रिट्ठ, ४. अंजणे । ' १९. एवं घोसस्स वि १. आवत्ते, २. वियावत्ते, ३. णंदियावत्ते, ४. महा जंदियावत्ते । २०. एवं महाघोसस्स वि-- २०. इसी प्रकार महाघोष के भी (चार लोकपाल कहे गये) हैं, यथा१. आवर्त, २. व्यावर्त, ३. महानंदितावर्त, ४. नंदितावर्त । १. आवत्ते, २. वियावत्ते, ३. महाणंदियावत्ते ४. णंदियावत्ते। -ठाणं० ४, उ०१, सु० २५६ । भवणवइइंद-लोगपालाणं अग्गमहिसोओ भवनपति इन्द्रों के लोकपालों की अग्रमहिषियाँ१९४: १. चमरस्स णं असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो १ सोमस्स १९४ : १. असुरकुमारराज असुरकुमारेन्द्र चमर के सोम महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, (लोकपाल) महाराज की चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, यथातं जहा१. कणगा, २. कणगलया, ३. चित्तगुत्ता, ४. वसुं- १. कनका, २. कनकलता, ३. चित्रगुप्ता, ४. वसुंधरा । धरा। एवं २ जमस्स, ३ वरुणस्स, ४ वेसमणस्स । इसी प्रकार यम, वरुण और वैश्रमण (लोकपालों की अग्रमहिषियों के नाम) हैं।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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