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लोक-प्रज्ञप्ति
- लोक
सूत्र ११-१४ .
अरिहा धम्म परिकहेइ । तेसि सव्वेसि आरियमणारियाणं अरिहंत जो धर्म का कथन करते हैं वह उन सभी आर्यों तथा
(जाव) अप्पणो सभासाए परिणामेणं परिणमइ, तं जहा अनार्यों को (यावत्) अपनी-अपनी भाषा में परिणत हो जाता है । .अत्थि लोए अत्थि अलोए।
यथा-लोक है और अलोक है । -ओव० सु० ३४
लोगसरुवस्स णायारो उवदेसगा य
लोक-स्वरूप के ज्ञाता और उपदेशक१२ : आयतचक्खू लोगविपस्सी-लोगस्स अहोभागं जाणइ, उड्ढे १२ : विशालदृष्टि लोकदर्शी लोक के अधोभाग को जानते हैं, - भाग जाणइ, तिरियं भागं जाणइ। ..
ऊर्ध्वभाग को जानते ह और तिर्यक् भाग को जानते हैं । -आया० सु० १,.अ० २, उ० ५, सु०६१
१३ : दोहि ठाणेहिं आया अहोलोगं जाणइ, पासइ, तं जहा-
१३ : दो स्थानों से आत्मा अधोलोक को जानता है, देखता है,
यथा
१. समोहएणं चैव अप्पाणेणं आया अहोलोगं जाणइ, पासइ ।
१. आत्मा स्वयं के किये हुए समुद्घात से अधोलोक को
जानता है और देखता है।
२. असमोहएणं चैव अप्पाणेणं आया अहोलोगं जाणइ, २. आत्मा स्वयं समुद्घात किये बिना भी अधोलोक को पासइ।
... जानता है और देखता है। आहोही समोहयासमोहएणं व अप्पाणेणं आया अहोलोगं आत्मा अधोवर्ती समुद्घात से या नियत क्षेत्र की अवधि तक जाणइ, पासइ।
की हुई समुद्घात से अथवा समुद्घात किये बिना भी अधोलोक
को जानता है, देखता है । एवं तिरियलोग, उड्ढलोग, केवलकप्पं लोग। इसी प्रकार तिर्यक्लोक को ऊर्ध्वलोक को या सम्पूर्ण
-ठाणं २, उ० २, सु० ८० लोक को (जानता है और देखता है)...
१४ : दोहि ठाहिं आया अहोलोग जाणइ, पासइ, तं जहा- १४ : दो स्थानों से आत्मा अधोलोक को जानता है, देखता है,
यथा१. विउविएणं चैव अप्पाणणं आया अहोलोग जाणइ १. आत्मा स्वयं के किये हुए वैक्रिय से अधोलोक को जानता पासइ।
है, देखता है। २. अविउम्बिएणं चैव अप्पाणेणं आया अहोलोग जाणइ, २. आत्मा स्वयं वैक्रिय किये बिना भी अधोलोक को जानता
- है, देखता है। आहोही विउव्वियाविउव्विएणं चेव अप्पाणेणं आयो अहोलोगं आत्मा अधोवर्ती वैक्रिय से या नियतक्षेत्र की अवधि तक की जाणइ, पास।. ..
हुई वैक्रिय से अथवा वैक्रिय किये बिना भी अधोलोक को जानता . : .
है, देखता है।...
. एवं तिरियलोग, उड्ढलोगं, केवलकप्पं लोग। इसी प्रकार तिर्यक्लोक को ऊध्र्वलोक को या सम्पूर्ण
... ..-ठाण २, उ० २, सु० ८० लोक को (जानता है, देखता है।).... ।