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________________ ( १०१ ) ३९२ २६५ ३६३ ३६५ ૨૬૭ ४०० ४२३ WW.0 सूत्रांक पृष्ठांक सूत्रांक पृष्ठांक 1'एक विचित्रकूट पर्वत ३८९ २४४ पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत के नाम का हेतु ४२० २६५ - दो यमक पर्वत २४४ नलिनकूट वक्षस्कार पर्वत के स्थान और .. यमक पर्वत संज्ञा का हेतु ३६१ २४५ प्रमाण ४२१ ___ २६५ यमक देवों की राजधानियाँ २४६ नलिनकूट वक्षस्कार पर्वत के नाम का हेतु ४२२ . जम्बूद्वीप में दो सौ कंचनगपर्वत २५० एकशेल वक्षस्कार पर्वत के स्थान और प्रमाण ४२३ । कंचनगपर्वतों की अवस्थिति और प्रमाण . २५० एकशैल वक्षस्कार पर्वत के नाम का हेतु कांचनक पर्वतों के नाम के हेतु ३६४ २५१ सौमनस वक्षस्कार पर्वत का स्थान और · चौंतीस दीर्घवैताढ्य पर्वत २५१ प्रमाण ४२५ दीर्घवैताढ्य पर्वत की अवस्थिति और प्रमाण ३६७ २५२ सौमनस वक्षस्कार पर्वत के नाम का हेतु ४२६ दीर्घवैताढ्य पर्वत के शिखरतल की अवस्थिति विद्य त्प्रभ वक्षस्कार पर्वत का स्थान और और प्रमाण ३९८ २५३ प्रमाण ४२७ २६७ दीर्घवैताढ्य पर्वत के शिखरतल का आकारभाव ३६६ २५३ विद्य त्प्रभ वक्षस्कार पर्वत के नाम का हेतु ४२८ २६७ " दीर्घवैताढ्य नाम का हेतु २५३ गंधमादन वक्षस्कार पर्वत का स्थान और - कच्छविजय का दीर्घ वैताढ्य पर्वत ४०१ २५४ प्रमाण २६७ -चार वृत्त वैताढ्य पर्वत गंधमादन वक्षस्कार पर्वत के नाम का हेतु २६८ शब्दापाती वृत्त वैताढ्यपर्वत की अवस्थिति जम्बूद्वीप में सर्वकूट संख्या २६६ __ और प्रमाण ४०२ २५५ वर्षधर पर्वतों के छप्पन कूट वर्ष शब्दापाती वृत्त वैताढ्यपर्वत के नाम का हेतु ४०३ २५५ क्षुद्रहिमवन्त वर्षधर पर्वत के इग्यारह कूट ४३२ २७१ विकटापाती वृत्त वैतादपर्वत की अवस्थिति सिद्धायतन कूट की अवस्थिति और प्रमाण ४३३ और प्रमाण ४०४ २५६ क्षुद्राहमवान कूट की अवस्थिति और प्रमाण ४३४ २७२ गंधापाती वृत्त वैताढ्यपर्वत की अवस्थिति क्षुद्र हिमवान कूट के नाम का हेतु ४३५ २७३ और प्रमाण ४०५ २५६ दो कूट अधिक सम एवं तुल्य हैं ४३६ २७३ : नाम का हेतु ४०५ २५६ क्षुद्र हिमवन्ता राजधानी ४३७ २७३ : मालवन्तपर्याय वृत्त वैताढ्य पर्वत की भरतकूट आदि कूटों के कथन का निर्देश ४३८ २७३ . अवस्थिति और प्रमाण ४०६ २५७ महाहिमवान् वर्षधर पर्वत पर आठ कूट २७४ नाम का हेतु २५७ दो कूट अधिक सम एवं तुल्य हैं ४४० २७४ । जम्बूद्वीप में ऋषभकूट पर्वत २५८ निषध वर्षधर पर्वत पर नौ कूट ४४१ २७४ + ऋषभकूट पर्वत की अवस्थिति और प्रमाण २५६ दो कूट अधिक सम एवं तुल्य हैं - उत्तरार्ध कच्छविजय में ऋषभकूटपर्वत की नीलवंत वर्षधर पर्वत पर नौ कूट अवस्थिति और प्रमाण ४०६ दो कूट अधिक सम एवं तुल्य हैं ४४४ २७५ जम्बूद्वीप में वक्षस्कार पर्वत रुक्मी वर्षधर पर्वत पर आठ कूट २७५ बीस वक्षस्कार पर्वत २६१ दो कूट अधिक सम एवं तुल्य हैं २७५ - चार गजदन्ताकार वक्षस्कार पर्वत २६३ शिखरी वर्षधर पर्वत पर इग्यारह कूट ४४७ २७६ : माल्यवन्त वक्षस्कार पर्वत का स्थान २६३ दो कूट अधिक सम एवं तुल्य है ४४८ - माल्यवन्त वक्षस्कार पर्वत के नाम का हेतु ४१६ २६४ वक्षस्कार कूट छिनवे· चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के स्थान और प्रमाण ४१७ २६४ सोलह सरल वक्षस्कार पर्वतों पर चौंसठ कूट* चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के नाम का हेतु ४१८ २६५ चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत पर चार कूट .. ४४६, २७६ " पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत के स्थान और............... पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत पर चार कूट ४५० २७७ प्रमाण ४१६ २६५ नलिनकट वक्षस्कार पर्वत पर चार कूट ४५२ २७७ २७१ ० ० ० ४०८ ४४२ २७४ २७५ ४४५ ४४६ 40. २७६
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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