________________ 0 गणितानुयोग-जैन परम्परा की भूगोल-खगोल एवं अन्तरिक्ष विज्ञान सन्बन्धी उन प्राचीनतम मान्यता/धारणाओं का वर्गीकृत संकलन है, जिसकी जानकारी आज के वैज्ञानिकों के लिए नितान्त उपयोगी ही नहीं, आवश्यक भी है। आज का विज्ञान आश्चर्यजनक प्रगति कर रहा है फिर भी ऐसी अनेक सूचनायें धारणायें और भूगोल सम्बन्धी प्राचीन मान्यतायें हैं, जिनकी जानकारी आजके वैज्ञानिक को नहीं है और वह जानकारी उसके लिए नवीन-नवीन अनुसन्धानों की सम्भावनाय सूचित कर रही है। इस महान् ग्रन्थ में ऐसी दुर्लभ किन्तु आश्चर्यजनक सामग्री संग्रहीत है। 10 जैन परम्परा के समस्त आगमों का दोहन करके-पृथ्वी, पर्वत, समुद्र, नदी, द्रह, सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र आदि शत-शत विषयों को सप्रमाण व्यवस्थित करके मूल तथा हिन्दी अनुवाद के साथप्रस्तुत करने का यह महत्वपूर्ण उपक्रम-भारतीय साहित्य क्या, विश्व साहित्य में एक अनूठा प्रयास माना जायेगा। -0 इस अत्यधिक श्रमसाध्य, मानसिक एकाग्रता तथा सतत अध्ययन / अनुशीलन से निष्पन्न, सैकड़ों ग्रन्थों के परिशीलन से सजित ग्रन्थ का सम्पादन / संकलन किया हैज्ञानयोगी मान श्री कन्हैयालाल जी 'कमल' ने आगम अनुयोग कार्य में पचास वर्ष से संलग्न मुनि श्री कन्हैयालाल जी आज के जैन समाज में गहन ज्ञान-साधना ओर कठोर अध्यवसायपूर्ण परिश्रम के एक 'पर्याय' बन गये हैं। आज 74 वर्ष की आयु, शरीर को अत्यन्त रुग्ण कष्टमय स्थिति में भी मुनि श्री घन्टों तक बैठे आगम अनुसन्धान तथा लेखन-सम्पादन कार्य करते हैं तो लगता है, दृढ़ संकल्पी मनुष्य जरा और मृत्यु से भी अपराजेय होता है। 20 मुनि श्री जैन आगम, टीका, चूणि, भाष्य, नियुक्ति आदि के गम्भीर अभ्यासी हैं। विवेचना में अत्यन्त दक्ष, हंस-विवेक के प्रतीक हैं / आपश्री आगमों को प्राचीन अनुयोग शैली को वर्तमान में सर्व सुलभ करने के लिए संकल्पशील हैं। धर्म कथानुयोग तथा गणितानुयोग का सम्पादन कर चुके हैं। चरणानुयोग का कार्य भी प्रायः पूर्ण हो गया है और द्रव्यानुयोग का सम्पादन चल रहा है। 480 इस महान ज्ञान यज्ञ में परम सहयोगी हैं-सुप्रसिद्ध मनीषी श्री दलसुखभाई मालवणिया तथा मुनिश्री के अन्तेवासी, सेवाभावी, विनय, विवेक, विज्ञतासम्पन्न मुनि श्री विनयकुमार जी 'वागीश'। GO आगम अनुयोग ट्रस्ट, अहमदाबाद (पंजीकृत) इस महान ज्ञान राशि को प्रकाशित करके अल्प मूल्य में जिज्ञासुजनों को सुलभ कराने में प्रयत्नशील है। 20 यदि पाठक स्वतन्त्र रूप में एक-एक ग्रन्थ खरीदे तो सम्भवतः यह पूरा सैट 1500/- मूल्य से भी मंहगा पड़ेगा, किन्तु आगम अनुयोग ट्रस्ट ने उन जिज्ञासुओं को कम मूल्य पर सुलभता से प्राप्त कराने के लिए अग्रिम सदस्यता योजना बनाई है। 500/- रुपया देकर जो व्यक्ति सदस्यता स्वीकार करेगे उनको क्रमश: प्रकाशित होने वाले सभी आगम ग्रन्थ निःशुल्क दिये जायेंगे। हिन्दी, गुजराती तथा अंग्रेजी तीन भाषाओं में अलग-अलग अनुवाद के साथ प्रकाशित होने वाले किसी भी भाषा का एक सैट आप अपनी रुचि के अनुसार सुरक्षित कर सकते हैं। HD अब तक धर्मकथानुयोग दो भाग (मूल्य : 150-150) तथा प्रस्तुत गणितानुयोग (मूल्य. : 200/-) प्रकाशित हो चुके हैं। सम्पर्क करें: आगम अनयोग टस्ट 15. स्थानकवासी जैन सोसायटो, नारायणपुरा क्रॉसिंग के पास, अहमदाबाद-३८००१३ आवरण पृष्ठ के मुद्रक-शैल प्रिन्टर्स, माईथान, आगरा-२८२००३