________________ गच्छायापाग गाथा क्रमांक गाथा क्रमांक 63 71 119 पज्ञलंति जत्थ धगधग पज्जलिय पर पहंतु साहुणो एवं परमत्यओ न त अमयं परमत्थओ विसं णो नं पिंडं उहि सेज्ज पुलवि-दग-अगणि पुकाणं बीग्राणं 50 बजेह अप्पमता। मिग विमथ 136 विदलियाणि पटजति विहिणा जो उ चोएड वीणि तु जीवरस बुड्डाणं तरुणाणं रत्ति वेषण वेयावच्चे 4.7 21 38 बहुसो उच्छोलिती बालाए बुलाए ननुत्र बालाणं जो उ सीमागं बीयपर सारु बिगाइ 127 भट्ठयारो सूरी भयवं ! केहि लिंगेहि भूए अतिथ भविस्संति 126 मच्छंदवारि दुस्सीलं 84 सरइ भवति अणवेक्खयाइ स एव भव्व सत्ताण समा सीस-पडिकछीर्ण मम्मग्गमग्गसंपठ्ठियाण सव्यत्य इस्थिवागम्मि सव्वत्वेसु त्रिमुत्तो साहू संखेदेणं मए सोम्म ! संगोत्रग्गरं विहिणा संविग्गा भीयपरिसा साहुस्स नस्थि लोए 135 सीमायेइ विहारं 131 सोल-तव-दाण-भावण 134 सीवणं तुन्नणं भरणं सीसा वि वेरिओ सुद्धं सुसाहुमग 11 सूणारंभपवत्तं गच्छ 15 128 . a मए निषसहावे महानिसीहकप्पाआ माकए दुझिाए मासे मासे उ जा अज्जा मुणिणं नाणाभिग्गह मूलगुणहि विमुक्त मूलत्तरगृणभई मेही आलंगणं खन 100 113 18 102 लीलाइसमागस्स 4 हास खड्डा कंदप्पं