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देवा हैव देवाः अथईते मनुष्यदेवाः ये ब्राह्मणाः शुश्रुबांसो अनुचानास्ते मनुष्यदेवाः ।। षडविंश ब्रा० । १। १
अर्थात देवता ती देवता ही है. परन्तु जो विद्वान आदि मनुष्य हैं. उनको भी देवता कह दिया गया है।
जो लोग विद्वांसा हि देवा:" का रटकर वास्तविक देवता का विरोध करते हैं उनका उपरोक्त प्रमाण ध्यान से पढ़ना चाहिये। नथा च ब्राह्मण में लिखा है कि
यद् वे मनुष्याण प्रत्यक्षं तद देवानां परोक्षम् , अथ यन्मनुष्याण परोक्षं तदेवानां प्रत्यहम् ।। ता०२२।१०।३।। __ अथान्जो मनुष्यों के लिये प्रत्यक्ष है वह देवों के लिये परोक्ष है. और जो मनुष्यों के लिये परोक्ष हैं, वह देवोंके लिये प्रत्यक्ष है। और भी
आहुतिभिरेवदेवा-प्रीणाति दक्षिणाभिर्मनुष्य देवान् ॥
शत० २१ २ । २ । ६ सत्यमेव देवा अनृतं मनुष्याः ॥ शत० २११४ ।। द्व योनी इति ब्रयात देवयोनिरन्यः मनुष्ययोनीग्न्यः प्राचीन प्रजनना वे देवाः प्रतीचीन प्रजनना मनुष्याः ॥ शत० ७।४ । २ । ४० ।। तथा च प्रजापतिः प्रजा असृजत स उर्चेभ्य एव प्राणेभ्यो देवानसृजत ये आवां च प्राणास्तेभ्योमाः ॥ शत. १० । १ । २ । १ ।। इत्यादि