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________________ पृष्ठ पू पूज ল ५८१ ५.८१ ५८३ ५८.३ ५८५ पूधू ५८६ ५८६ ५६६ भू८८ ५८६ ५६ ५६२ पंक्ति & १८ २१ Y २ २२ १४ १८ ४. ८-१ ५० १ २० २३ ५६४ २१ ६.४ २४ ६०८ २१ ६१० ११ ६१४ १२ ६१५ १५ ६१५. २५ ६१५ २५ ( ११ ) अशुद्ध तत्वानान्तिः योगाष्यया कारण ईश्वर भूमिकायें अप्रमाण्य भास्ति मिकत्व वेद को विष्पष्टं वृतं जैमिनिनानां पाप पाप आनुभविक भूमिजनन् दर्शनिकों में भानते गुण्या विषया शृणी और तराजू हमने त्रेतायें इससे विद्यार्थियों को समाय व लगनेवर के शुद्ध सत्वज्ञानाभिः योगाद्या कारणमीश्वर भूमिका में अप्रामाख्य अस्ति वैनाशिकत्व वेद में विस्पष्टं वृन्तं जैमिनीनाम् पाप अनुनधिक भूमीजनयन् दार्शनिकों में मानने त्रैगुण्य विषया ऋणी और न तराजू हमने त्रेताय इससे विद्यार्थियों के लिये समावर्त्य लगने के बादके
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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