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गुप्त या अनभिव्यक्त है, इसको विज्ञान के शब्दों में Potential Energy पोटेन्शियल इनर्जी कहते हैं । फिर जिस समय वहीं पंजिन रेल की पटरी पर अति गति से दौड़ सगळे जगता है, दस समय उसकी वही गुप्त अन्तर्निहित पोटेन्शियल इनर्जी Kinetic. Energy किनेटिक इनर्जी के रूप में परिणत होजाती है। इसप्रकार के अन्य अनेक उराहरण दिये जासकते हैं, जिनसे शक्ति विवर्तवाद का सिद्धान्त भली भांति परिपुष्ट होता है । द्रव्याक्षरत्ववाद की भांति ही आज शक्ति साम्यका सिद्धान्त भौतिक विज्ञानमें आदर पा रहा है ।
न केवल बहुत की हृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह सिद्धान्त महत्व पूर्ण है । सन् १८३७ में सब से पहले Bonn बांन के प्रसिद्ध वैज्ञानिक Friedrich Mohr फीडरिख मोहर के मस्तिष्क में इस सिद्धान्त की कल्पना ने जन्म लिया था परन्तु फिर भी दुर्भाग्यवश उसके आविष्कार का श्रेय उसको प्राप्त नहीं हो सका 1 अनेक वर्ष इस सिद्धान्त के परिपोषक विविध परीक्षणों में featकर जब तक निश्चित सिद्धान्त के रूपमें वह इसकी घोषणा करें उसके पहले ही Rober Mayer राबर्ट मेयरने अपनी और उसे विघोषित कर दिया।
गुणवाद
इनके अतिरिक्त दार्शनिक जगत में प्रकृतिका एक और स्वरूप उपलब्ध होता है जिसकी उत्पत्ति केवल पूर्व में हुई है. और वह है सांख्याचार्यों का गुण बाद। सांख्याचार्यों के इस गुणवादके अनुसार सत्त्व रज और तम नामक तीन गुणों की समष्टि का नाम प्रकृति है । इस स्थल पर प्रयुक्त हुआ गुण शब्द बहुधा अमक हो जाता है, क्योंकि यहां वह अपने साधारण अर्थ में नहीं अपितु विशेष