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________________ बढ़ जाता है कि उससे कागज कपड़ा श्रादि वस्तु जल सकती हैं। इसी सिद्धान्त के आधार पर इंजन के बोयलर का पानी गर्म हो कर बाहर रूप बनता है । अभी वर्लिन के वैज्ञानिक डाक्टर नोलेंगे ने अपनी प्रयोग शाला में एक ऐसे यन्त्र की रचना की हैं जिस सूर्य ताप निरंतर विद्यु तशक्ति में परिणत होता रहता है। इस यन्त्र की अंगभूत जट्स यदि हजारों की तादाद में तय्यार कराकर उपभोगमें कराई जायेगी तो उससे मील श्रादि कारखानों का कार्य भी चलाया जा सकेगा । यद्यपि जल प्रपात से भी विद्युत प्रवाह उत्पन्न होता है किन्तु इपकी अपेक्षा सूर्य ताप से उत्पन्न हाने वाले विद्यु न्-अवाह. . की यह विशेषता है कि वह हर स्थान पर उत्पन्न हो सकता है। सूर्य प्रकाश हर स्थान पर मिल सकता है। विशेष करके भूमध्य रेखा के पास उष्णाकटि बन्ध वाले देशों में विद्युत् शक्ति बहुत सस्ती पैदा की जा सकती है। यदि सूर्य से शक्ति ग्रहण करने का प्रयोग बहुतायत से किया गया तो को यल. तेल, लकड़ी आदि की श्रावश्यकता बहुत कम रह जायगी। डाक्टर लेंग की प्लेट का उपयोग अन्य भी कई प्रकारों से होता है । जैसे जहाज या वायुयान में इस यन्त्र के द्वारा भय की सूचना प्राप्त की जा सकती है। फोटोग्राफर की प्लेट पर लाल रंग की किरणे एकत्रित की जा सकती हैं। ___ गंगाविज्ञानाङ्क प्रवाह ४ तरंग । लेखक:-श्री गुन रामगोपाल सक्सेना सूर्य को गर्मी सूर्य की गर्मी वृक्ष, पशु, पक्षी मनुष्य प्रादि सब को जीवन प्रदान करती है । सूर्य को गर्मी से ही जमीन में पत्थर के कोयले बनते है। जिनसे पंजिन के जरिये मील आदि चलगे हैं।
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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