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________________ ( ७२२ ) या तो पूर्ण रूप से किसी अन्य रीति से आती है या कम से कम इसका कुछ अंश किसी अन्य रीति से आता है । पृथ्वी लावेल का विचार है कि समय पाकर पृथिवी भी मंगल की तरह समुद्र हीन हो जायेगी। उधर मंगल धीरे धीरे चन्द्रमा की तरह निर्जीव हो जायेगा ! पृथिवी भी इस दशा में पहुंच जावेगी परन्तु घबराने की बात नहीं है. इसमें प्राय: असंख्य वर्ष लगेंगे । १० ५५० आधुनिक सिद्धान्त इसके अतरिक्त वैज्ञानिकोंने पता लगाया है कि जिन २ मौलिक पदार्थों को रसायन घेत्ता बिल्कुल भिन्न समझते थे वे एक दूसरे में बदले जा सकते हैं। इस प्रकार हाईड्रोजनका जब अन्य पदार्थों में रूपान्तर होजाता है तब बहुत सी गरमी निकलती है, होसकता है कि सूर्य में भी इसी प्रकार की गरमी उत्पन्न होती हो । आइन्स्टाइन सब से आश्चर्य जनक " आइकटाइन" का प्रसिद्ध सापेक्षवाद है। सापेक्षवाद बतलाता है कि पदार्थ और शक्ति असल में एक ही हैं। एक सेर गरमी की बात करना वैसा ही न्याय संगत है जैसे एक लोहे की बात करना । परन्तु एक सेर गरमी सवा अरब मन पत्थर पिघला देगा। यदि सूर्य की गरमी इस सिद्धान्त के अनुसार पदार्थों के क्षय और इसके स्थान में शक्तिके प्रकट होने से आये तो भी पिछले दस खरब वर्षों में सूर्य का केवल सेर पीछे आधी रत्ती भर भी नाश हुआ होगा । इसलिये शायद यह हजारों अरब वर्षोंसे चमकता रहा है और हजारों शंख वर्ष तक चमकता रहेगा | सौर परिवार पु० २५२
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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