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________________ ( ७२ ) (२) मूल तत्वोंके विभिन्न परमाणु की संयोग शांत निश्चिन रहती है. इसी संयोग शक्ति के अनुसार वे परस्पर अपना संबंध स्थापित करते हैं। इस शक्तिकी मापका हिसाब वैज्ञानिकोंने इस प्रकार निकाला हैं । हाईड्रोजन, आक्सीजन, ऑक्सिजन के एक और हाइड्रोजन के हो परमाणु मिल कर जल बनता है । क्लोरीन के एक परमाणु और सोडियम के एक परमाणु से नमक बनता है। प्रकृति में इन परमाओं का अस्तित्व एकाकी रूपसे नहीं रहता । काग्गा कि प्राके उनकी शक्ति परितृप्त नहीं रहती हों ! रासायिनिक क्रियाओं में वे अवश्य भाग लेते हैं, परन्तु उसके पश्चात ही संयोग द्वारा वे अपनी संयोजन शक्तिको तृप्त करके स्थिर रूपमें आ जाते हैं। किसी मूलतत्व के परमारोंकी जब तक किसी अधिक आकर्षक नत्वके परम - धोके साथ अनुकूल दशाओं में मिलनेका अवसर नहीं दिया जाता है तब तक वे आपस में ही अनेक प्रकार से सहजीवन व्यतीत करते हैं। जिन समूहों में किसी तत्व के परमाणु इसप्रकार साथ साथ रहते हैं उन्हींको उस तत्व के अणु कहते हैं। यह सम संयोग भी संयोजन शक्ति के अनुसार ही होता है । सूर्य में गरमी (सौर परिवार ले गोरखप्रसाद D. Sc (Edin ) F. RR.S. Reader Allah. University) आधुनिक विज्ञानने पता लगाया है कि शक्ति न तो उत्पन्न की जा सकती है और न इसका नाश ही किया जा सकता है। जब मिट्टी के तेल वाले गंजन से शक्ति पैदा की जाती है, तब शक्ति उत्पन्न नहीं होती केवल वह शक्ति जो मिट्टी के तेल में जड़ रूप से
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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