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________________ अफलातून ( प्लेटो) लेदो आत्मा के अमरत्वका उत्कृष्ट प्रचारक था । सुकरातकी मृत्यु के पश्चान वह इटली चला गया था । इस यात्रामें उसे पिथागोरस के मन्तव्योंका ज्ञान हुश्रा, वह श्रादर्शवादसे भी प्रभावित था । और अपने शिष्यों को सिखलाया करता था कि भेज के ख्यालम मेज से अधिक वास्तविकता है । उसकी प्रसिद्ध पुस्तक "फेडो" ( Phaedo ) प्रश्नोतर रूपमें है। पुस्तक में उसने श्रात्मा के अमरत्व पर अच्छा विचार किया है। उसका कथन है कि जीवात्मा अभाव से उत्पन्न नहीं हो सकता, इस लिये उसकी पूर्वसत्ता होनी चाहिये, और वह भी अनादिकाल से । इसी विचार की पुष्टि वह इस प्रकार करता है, कि केवल जीव ही उन आदर्शोंका विचारकर सकता है जो वस्तुओंकी सत्ता के कारण हैं. और जिनके द्वारा वस्तुओंकी उत्पत्ति हुश्रा करती है। परन्तु जीवोत्पत्तिके विचारको उसने कभी क्षणमात्रके लिये भी स्वीकार नहीं किया । यह सदैव उनकी निरन्तर सत्ताका उपदेष्टा और अभावसे भाव होनेका सर्वथा विरोधी रहा । उसका जीवन के संबंधमें यही विचार था कि शरीर से पृथक होने के बाद उसी प्रकार अन्तकाल तक बना रहता है, जिस प्रकार शरीरमें श्रानेसे पूर्व अनादिकाल से अपनी सत्ता रखता था, आचाहिन्छ" ( Archar Hind) जिसने । फेडों का संस्करण प्रकाशित किया था उसकी भूमिका में उपयुक्त विचारों को प्रकाशित करते हुए यह भी लिखा है कि प्लेटोका विचार था कि बुद्धिमान विज्ञान वेताओंको मृत्युसे भयभीत नहीं होना चाहिये। प्लेटो ( देखो रिपब्लिक का तृतीय भाग ) अपने शिष्योंको परलोक संबंधी ऐसे विचारों से जिनका पार्फियसकी शिक्षासे संबन्ध है, बचानेका यत्न किया था। क्योंकि वह उन्हें निस्सार समझता था । मृष्टि संबंधी उसका विचार था कि "आदर्श मुष्टि
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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