SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 726
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ७० ) ( SHAMMI) को उत्तर देते हुये कहा कि मुझे विश्वास है. कि मृत पुरुष भी एक प्रकारका जीवन रखते हैं जैसा कि पूर्वजोंने कहा है – वह जीवन पापों की अपेक्षा सत्पुरुषोंके लिये श्रेष्ठ तर हैं " (२) " 2 जब तक हम यह शरीर रखते हैं और जब तक यह साधन शरीर हमारी आत्माओं से सम्पर्क रखता है उस समय तक हम इच्छित उद्देश्यको कदापि न प्राप्त कर सकेंगे" ( ४ ) + (३) चित्तकी शुद्धता शरीर से आत्मा को प्रथक करते हुए और पृथक करने की भावनाको दृढ़ करते हुए श्रायु विताना ही है। 3 शरीर से पृथक होना और छूटना ही मृत्यु है" । (५) सिवीने कहा - 4 तब हम इस बात में सहमत होगये क जिन्हें मुसे और मुर्दे जिन्देसे पैदा होते हैं और इसी लिए इस बात में भी हम सहमत हो गये कि यही यथेष्ट प्रमाण है कि मृत पुरुषोंकी आत्मा पहले कहीं अवश्य थी जहांसे वह फिर जन्म लेती है”। (६) सुकरात ने कहा 5 हो निसंदेह ऐसा ही है। हमने इस सिद्धान्त स्थिर करनेमें भूल नहीं की हैं मनुष्य मरकर अवश्य पुनः जन्म लेते हैं और उन्हीं मुद्दोंसे जीवित पुरुष उत्पन्न होते हैं और मृत पुरुषोंकी आत्मा अमर है" । (s) सुकरात - "सो आत्मा किससे साहश्य रखता है ?". 1 Trial and death of socrated P. 115 P. 120 2 P. 122 P. 130 P. 131 and 132 3 4 5 در " A >> " 35 35 " 32 " در 33
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy