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________________ ( ६ ) चिन्तित रहता है । चारी करता है, पकड़ा जाता है मार खाला है जेल भोगता है । इस प्रकार से उसका सर्वनाश शराबने ही तो किया है। __ जब उसने पहले पहल थोड़ी सी शराब पी थी तय तो उसे केवल नशा ही हुश्रा था परन्तु अब तो वह स्वयं नशारूष बन गया है आज सो इस शराबने उसको इस अवस्था में पहुंचा दिया है कि यदि इसके पास थोड़ी भी विवेक बुद्धि हो तो यह हजार स्वाँसे रोये और अपने किए पर पश्चाताप करे परन्तु हाय ! इम शरावने आज इसकी उस बुद्धिको भी छीन लिया है जिससे यह न रो सकता है, न पश्चाताप कर सकता है. इससे अधिक सर्वनाशका और क्या उदाहरण हो सकता है। अतः इसको न्यून फल कहना मारी भूल है। ग्रह लो नित्यप्रति भयानक रूप धारण करता जा रहा है। मनुस्मृति और कर्मफल मनुस्मृति अध्याय १२ में किस कर्मके अनुसार कौन कौन योनि मिलती है इसका संक्षेपसे वर्णन किया गया है वहाँ लिखा है कि जो गुण जिस जीत्रकी देह में अधिकतासे होता है. वह गुरुण उस जीवको अपने जैसा कर देता है। यदि शरीरमें तमो गुण अधिक है तो वह शरारको तामसिक बना देता है। इसी प्रकार रजोगुण रजोगुणी और सतोगुण सात्विक । जैसा जीव तमोगुणी या रजोगुणी आदि बन जाना है, वह आत्मा वैसा ही शरीरको प्राप्त कर लेता है अर्थात् तमोगुणी जीव तामसी योनियोंमें चला जाता है तमोगुणको प्रधानताका चिन्ह लिखा है-'तमसो लक्षणं कामः1" अर्थात-पुरुष यदि अधिक विषयी हो चोर ज्वारी, टुाकू हो तो समझना चाहिये कि इसमें नमोगुणकी प्रधानता
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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