SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 668
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६४८) एनी बेसेन्ट साहिवा के विधार गूढ़ तत्व विद्याके अनुसार यह विचार शक्ति ही शानों (रूप) की एक मात्र जड़ है । इसके लिए एच. पी. ब्लावेटस्की ने यह कहा है कि "विचार की विलक्षण शक्ति ओ उससे बाहरी गोचर सृष्टि अपने ही भीतरी बलसे रचवा देती है"।। ___जैसा कि ब्रह्माण्ड के पांचवें लोककी तरह मनुष्यकी भी पांचवें लोकमें अर्थान चिंतक या मनमें वह शक्ति रहती है जिससे सब वस्तुएं बनती हैं. और विचारकी इस रचना शक्तिमें ही पुनर्जन्म की विधिका भेद मिल सकता है। ४२. जो कोई यह निश्चय करना चाहै कि विचार से मूर्तियां या विचाराकार बनते हैं और यो सचमुच विचार कोई वस्तु है. तो उसको मिस्मैरिजम के अनुभवोंके वृत्तान्तों में जो अब ऐसे विस्तारसे फैले हुए हैं तलाश करनेसे इसका प्रमाण मिल जावेगा। किसी संकल्प (ख्याल) की मूर्ति कोरे कागज पर डाली जा सकती है और वहां वह मिस्मैरिज्मके बलसे सुलाये हुए साध्य पुरुषको दिखलाई पड़ जाती है या वह ऐसी उठी हुई बन जाती है कि वह साध्य पुरुषको देखने व छूनेसे ऐसी लगती है कि वह सचमुच स्थूल पदार्थ है। ऐसे ही भूत . विद्याका साधक भूतको अर्थात् किसी मनुष्यके मनकी बात किसी पासके मनुष्यके मनमें देख लेता है क्योंकि इस विचारकी शक्ल उसके क्रांतिमंडल में अर्थात् तेजके मंडल में छिप जाती है । या अगर कोई मनुष्य अपने मनमें कोई चित्र बनाने और मुंहसे कुछ न कहे केवल अपनी इच्छा शक्ति से उस तस्वीरको अपने मनमें भली भांति स्पष्ट करले तो कोई दिव्य दृष्टि वाला जो उसके पास हो चाहे समाधिमें हो सिवरेट डाक्टिन बाल्यूम १ पेज २६३
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy