SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 662
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६४२ ) इन्द्रियों के व्यवहार जर्मनी के वैज्ञानिक "पॉल फ्लैश जिग" ( Paul Flechrig of Leipzig) ने बतलाया है कि मस्तिष्क के भूरे मज्जाक्षेत्र (grey matter or Correx of the krain ) इन्द्रियानुभव के चार अधिष्ठान या भीतरी गोलक हैं जो इन्द्रिय-संवेदनाको ग्रहण करते हैं. उसने उनका इस प्रकार विवरण किया है- (१) स्पर्श ज्ञानका गोलक मस्तिष्क के खड़े लोध में । the sphere of tmch in the Vertical Loke. ( २ ) - प्राणका गोलक मस्तिष्क के सामने के लोथड़े में | the Sphere of smallin rhe Frontal Loke (३) - दृष्टिका गोलक पिछले लोथड़े में । the Sphere of Sight in the Occipital Loke. ( ४ ) -- श्रवणका गोलक कनपटीके लोथड़े में । the Sphere of hearing in the temporal Loke. और यह भी बतलाया कि इन चारों भीतरी इन्द्रिय गोलको के बीच में विचारके गोलक ( thought centres or centres of association, the real organs of mental life) हैं, जिनके द्वारा भावोंकी योजना और विचार आदि जटिल मानसिक व्यापार होते हैं" इस प्रकार यह शरीरोंको रचना अपने आप करता रहता है। जिस प्रकार के इसके भाव होते हैं. उसी प्रकारका इस का शरीर बन जाता है, जैसे शरीरकी बनावट होगी वैसा ही यह कार्य करता रहता है। आस्तिक वाद में भी लिखा है कि एक प्रकारसे जीव कम करने में स्वतन्त्र और दूसरी अपेक्षासे परतन्त्र भी हैं। अर्थात उसकी स्वतन्त्रताकी मर्यादा है, उससे बाहर वह
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy