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________________ ( ४८६ ) ' की उत्पत्ति हुई। पश्चात् इन तीन तत्वों में ही जीव रूपसे परब्रह्मका प्रवेश होने पर उनके त्रिवृत्करणसे जगत् की अनेक नाम रूपात्मक वस्तुएँ निर्मित हुईं। स्थूल अभि सूर्य या विद्युल्लताकी ज्योतिमें जो लाल (लोहित) रंग है, वह सूक्ष्म तंजो रूपी मूल तत्वका परिणाम है, जो सफेद (शुक्ल) रंग है वह सूक्ष्म आप तक परिणाम है, और जो कृष्ण (काला) रंग हैं वह सूक्ष्म पृथ्वी- तत्त्रका परिणाम है । इसी प्रकार, मनुष्य जिस का सेवन करता है उसमें भी सूक्ष्म तंज, सूक्ष्म आप और सूक्ष्म अन्न (पृथ्वी) - यही तीन तत्व होते हैं । जैसे दहीको मथनेसे मक्खन ऊपर आ जाता है. वैसे ही उक्त तीन सूक्ष्म तत्वोंसे बना हुआ अन्न जब पेटमें जाता हैं. तब उसमेंसे तेज तत्व के कारण मनुष्यके शरीर में स्थूल. मध्यम और सूक्ष्म परिणाम जिन्हें क्रमश: अस्थि मज्जा और वाणी कहते हैं, उत्पन्न हुआ करते हैं। इसी प्रकार आप अर्थात् जल तत्व से मूत्र रक्त और प्रारण, तथा अन्न अर्थात् पृथ्वी तत्त्रसे पुरीप, मांस और मन ये तीन द्रव्य निर्मित होते हैं" (०६२२६) । छांदोग्योप निपकी यही पद्धति वेदान्त सूत्रों (२११/२० ) में कही गई है, कि मूल महाभूतों की संख्या पांच नहीं. केवल तीन ही है, और उनके त्रिवृस्करण से सब दृश्य पदार्थो को उत्पत्ति भी मालूम की जा सकती है बादरायणाचार्य तो पंचीकरण का नाम तक नहीं लेते तथापि तैत्तिरीय (२१) प्रश्न (४८) बृहदारण्यक (४|४|१) आदि अन्य उपनिश्दिोंमें और विशेषतः श्येताम्बर (२1१ ) वेदान्त-सूत्र (२१ १४) तथा गीता ( ७/४, १३.५) में भी तीनके बदले पांच महाभूतोका वर्णन है। गर्भोपनिषद् के आरम्भ ही में कहा है कि मनुष्य देह पंचात्मक हैं और महाभारत तथा पुराणोंमें तो पंचीकरणका स्पष्ट ही किया गया है. (म्भा शा० १८४ १८६ इससे यही सिद्ध होता हैं कि यद्यपि त्रिकरण प्राचीन हैं तथापि जब महाभूतांकी संख्या तीनके बदले पांच मानी जाने लगी तब त्रिषूत्करण के उदाहरण ही
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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