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________________ ( ३९४ (४) इयं विसृष्टि यत भावभूव, यदि वा दघे यदि वा न । योऽस्याध्यक्षः परमे व्योमन् , सो अंग वेद यदि था नवेद (१०१०११२६७) अर्धान्-( १ ) प्रथम जन्म ते हुए जगत को किसने देखा है अर्थात किसी ने नहीं देखा। ३) इन सूर्य, चन्द, नक्षत्र, पृथ्वी प्रादि में से प्रथम कौन उत्पन्न हुआ, तथा यह संसार किसने और क्यों बनाया इस बात को कौन तत्वदर्शी जानता है । अर्थात् कोई नहीं जानता। (३) यह संसार कैसे उत्पन्न हुआ इसको निश्चयसे न किसीने जाना है तथा न किसीने कहा है। यदि बाप कहें कि देवता जानते होग तो वे भी सृष्टिके पश्चान बननेसे कैसे जान मकते हैं। (५) यह सृष्टि जिससे उत्पन्न हुई है, और जिसने धारण कर रक्षी है. यदि कहो कि यह उन उपरोक्त बातों को जानता है, तो यह भी ठीक नहीं क्योंकि वह प्रजापति भी इन बातों को नहीं जानता है। क्योंकि प्रजापति स्वयं कहता है किन विजानामि यसरा परस्तात् । अये. कां.१७४३ इनमेंसे प्रथम कौन पदार्थ उत्पन्न हुआ यह मैं नहीं जानता। इसी प्रकार अन्य शास्त्रों में भी जगतकी नित्यता का कथन है। ऊर्ध्वमूलोऽवाक्शाख एषोऽश्वत्थः सनातनः । क० उ० २ । ३।१ इस अति का भाष्य करते हुये श्रीशङ्कराचार्य जी ने लिखा हैएष संसार होऽश्वत्थोऽश्वत्यवत कामकर्मत्रानम्ति नित्य
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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