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________________ ( २६५ । पं० सातवलेकरजी लिखित महाभारतकी समालोचना. प्रथम भाग, पृ० ५० उपरोक्त लेखसे स्पष्ट सिद्ध है कि बैदिक साहित्य में 'धाता और विधाता' शब्द के अर्थ रात्री और दिनके हैं। अतः "सूर्याचन्द्र मसौ धामा यथा पूर्वम् कल्पयत्" . इस श्रुतिका यह अर्थ हुश्रा कि. ऊषाने सूर्य को और रात्री ने चंद्रमाको उत्पन्न किया। यह अर्थ युक्ति युक्त तथा वैदिक पद्धति के अनुकूल भी है। हिरण्यगर्भ "हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्यजातः पतिरेक आसीत । : स दाधार पृथिवीं चामुतेमा कामै देवाय इक्षिा विधेम ||२|| य आत्मदा वलदा यस्य विश्व उपासते प्रशिपं यस्य देवाः । यस्य छायामृतं यस्य मृत्युः कस्मै देवाय हविषा विधेम ॥ २॥ '. यः प्राण तो निमिपतो महित्वैक इद्राजा जगतो बभूव । प ईशे अस्य द्विपदश्चतुष्पदः कस्मै देवाय हविषा विधेम ।३। ___ यस्येमे हिमवन्तो महित्वा यस्थ समुद्रं रसया सहाहुः । यस्येमाः प्रदिशो यस्य बाहूकस्मै देवाय हविषा विधेप ||४|| . येनद्यौस्या पृथिवी च दृढ़ा येन स्वः स्तभितं येन नाकः यो अन्तरिक्षे रजसो विमानः कस्मै देवाय हविषा विधेम ।। - यं क्रन्दसी अवमा तस्तभाने अभ्यता मनसा रेजमाने यत्राधि सर उदितो विभाति कस्मै देवाय हविषा विधेम ।।
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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