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________________ मन्त्रों परस सारा संसार फिर बना, इसीलिये कहते हैं कि वे सारे संसारका आधार है।" समीक्षा, बहुस दिनोंसे एकाकी रहते रहते वेचारे ईश्वरका दिल घबरा गया था, इसी लिये उसने भारी परिश्रम और कठोर तप करके वेदोंका निर्माण कर ही डाला। यहाँ ईश्वर ग्रह बताना भूल गया कि-ये वेब ईश्वरने किसीको पढ़ाये अथवा अपने आप ही पढ़े थे। क्योंकि अन्य शरीर धारी पड़ने वाला तो उस समय था ही नहीं। तथा बेद मन्त्रोंसे सारा जगत बन गया, यह भी नया आविष्कार है । इसके लिये ईश्वरको नोवलप्राइज मिलना चाहिये । वास्तवमें इन ईश्वर वादियोंके यह इसी प्रकारके प्रयत्न हैं। भला इनसे कोई पूछेकि सबसे पहिले वेद उत्पन्न हुये यह कहाँ का सिद्धान्त है। क्या लेखक अथवा इनके अनुयायी अपने इस सिद्धान्तकी पुष्टि में भी मार रिस साहित्यमा उपस्थित कर सकते हैं । यहाँ प्रश्न, के अर्थ, बेद करके ही यह अनर्थ किया है। वास्तवमें यहाँ प्रजापति, ब्रह्मा, के अर्थ आत्माके हैं, जिसने इस शरीरको उत्पन्न किया है। इसको विस्तार पूर्वक यथा प्रकरण लिखेंगे । इसी प्रकार आपकी अन्य श्रुतियं भी आत्माका कथन करती हैं, आपके कपोलकल्पित ईश्वरका नहीं। तथा 'ॐ यह शब्द भी प्रात्माकी ही तीन अवस्थाओंको बतलाता है । जैसा कि___ माण्डूक्योपनिषद् आदि के अनेक प्रमाणोंसे हम सिद्ध कर चुके हैं। इसी प्रकार अनि शब्द भी वेदोंमें सथा प्राक्षण आदिमें ईश्वर वाचक नहीं है। यह हम अनि देवता प्रकरणमें दिखा प्रजापति हिरण्यगर्भ आदि अनेक विद्वानों ने प्रजापति, हिरण्यगर्भ, पुरुष, परमेष्ठी आदि
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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