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________________ जादू . धर्म और विज्ञानके पौर्वापर्य श्रधत्रा साम्य वैषम्यक विषयमें पंडितोका मतभेद है। तो भी यह निश्चित है. कि इनके बीज एकत्र मिलते हैं। बेबमोनिया और भारतवर्ष में वैवक, कानून जादू और धर्म एक ही धन्धेसे निर्माण हुए । इतिहास बतलाता है कि वैविलोनियामें पहले बक्षक जादू-टोनेके रूपमें था, भारतवर्षके अथर्ववेदमें बतलाये हुए, अथर्व' वैद्यक, जादु और पुरोहिताई ये तीनों काम करते थे । जादू , बैगक, (चिकित्सित) धार्मिक संस्कार और यक्ष याम ये क्रिया एकत्रित मिली हुई स्थिति अथर्ववेद और कौशिक ग्रा-सूत्रम दिखलाई देली हैं । भारतवर्पमें तो. हजारों वर्षोंसे कानून भी धर्मका भाग रहा है । उसका देवी क्रियाओंसे और पारलौकिक गतिसे संबंध जुड़ा हुआ था। न्याय-निर्णयका दिव्य या सौगन्ध एक प्रमाण था न्याय-निर्णयका मुख्य अधिकार ब्राह्मणों के हाथमें था। हिन्दु धर्म समीक्षा प्रमः ३६. ४.. 'हिन्दू धर्मके विविध स्तर' संसारके प्रायः सार जंगली अथवा पिछड़े हुये मानवसमूहमें आद् (magic) प्राथमिक धर्मके रूपमें पाया जाता है। इस समयके सुधर हुए पाश्चात्य और पूर्वीय राष्ट्रोंमें भी समाजके पिछड़े हुये स्तरोमें थोड़ा बहुत जादू-टोना दिखलाई देता है। मनुष्यकी अत्यन्त अनाड़ी स्थिति में इस जादू-टोने का अवतार होता है। मृतिक वातविक कार्य-कारण-भावका गूढ़ अज्ञान इसका श्रादि कारण हैं. जादू दो तरहका होता है. एक देवनावादके पूर्वका और दूसरा उसके बादका । हिन्दू धर्म में दोनों तरह का यातु-धर्म है । अथव-वेद और गृह सूत्रोंक धममें यातु या जादूकी क्रियाका स्थान है। इतर तीन वेदमें भी जादु अथवा
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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