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________________ ( २०१ ) -बाला है। ये दोनों मिल कर चिकित्सा करते हैं। दो राजा में ऐसा भी कइयों का मत है। परन्तु दो तारकायें हैं, यह मत अधिक (विशेष) प्राय है। ये दोनों तारकायें साथ साथ रहती हैं, साथ र उदयको प्राप्त होती हैं, मध्य रात्रिके पश्चात् उदय होती हैं। अतः इनका नाम अश्विनी होना संभवनीय हैं।...... अश्वि देवोंके विषय में इतने मतभेद हैं, तथापि इनका उदय मध्य रात्रिके पश्चा है यह निश्चित हैं। ये दो तारकायें हैं ऐसा भी ( वेदमें) अनेक वार कहा है।" ऋग्वेदका सुबोध भाष्य भाग, १० ३६ 3 ऋभु देवोंकी कथा ऋभु देवोंके संबंध में ऐतरेय ब्राह्मण में निम्नलिखित कथा मिलती है। भवो वें देवेषु तपसा सोमपीथं अभ्य जयंस्तेभ्यः प्रातः सबने वाचि कल्पयंस्तानग्निर्वसुभिः प्रातः सवना दनुदत तृतीये सवने वाचि कन्पयस्तान विश्वे देवा अनोनुद्यन्ति, नेह पास्यन्ति, नेहेति स प्रजापति रत्रवीत् सवितारं, तब वा इमेऽन्ते वासास्त्वमेवेभिः सं पिवस्वेति । स तथेत्य ब्रवीत्सविता तान्वं त्वमुभयतः परिविवेति मनुष्यगन्धात् । ( ऐ ना ३ । ६ ) ऋभुदेव प्रारंभ में मनुष्य थे । तप करके देवस्त्रको प्राप्त हुए । : प्रजापति और उसके साथ अपनी संगति रखने वाले देव इन देवों ऋभुओं को प्रातः सवनमें देवांकी पंक्ति में विठला कर सोम पान करानेका यत्न किया । परन्तु आठों वासुदेवाने उन को अपनी .
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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