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________________ { २०० ) (२) ये (पुरु भुजा) विशाल भुजा वाले हैं। (३) (शुभस पती) शुभ कर्मोको करने वाले। (१) (द्रवतपाणी) अपने हाथोंसे अतिशीघ्र कार्य करने वाले । (५) (पुरु दंससा) अनेक कार्यके निभाने वाले । (६) (धिष्ण्या ) अत्यन्त बुद्धिमान तथा धैर्य युक्त ।। (७) (नरा) नेता. अनुयायियोंको उत्तम मार्गसे ले जाने वाले। (८) (दमा) शत्रुका नाश करने वाले। (6) ( नासत्या, न-असत्या ) कमी असत्यका अवलंबन न करने वाले। (१०) रुद्र-वर्तनी) शत्रुका नाश करने के लिये भयानक-मार्ग का अवलंबन करने वाले । (११) (यज्वरीः इष चनस्यतं) ये यज्ञीय पवित्र अनका सेवन करते हैं। (१२) ( शवीरया धिया गिरः बनतं) अपनी एकाप धुद्धिसे अनुयायियों के भाषण सुनते हैं। (१३) (अवा कवः वृक्त वर्हिषः सुताः) सोम रस पीनेके लिये यजमानके पास जाते हैं। अश्विनी देवता बेदमे औषधि प्रयोग द्वारा प्रारोग्य देने वाली कही है अश्विनी. देवता में दो देघ हैं. पर वे साथ साथ रहते हैं। कभी पृथक नहीं रहते। दो तारिकायें हैं जिनको अश्विनी बोलते हैं और जो मध्य राधिके पश्चात उदय होते हैं । ये अश्विनौ है ऐसा कहा जाता है । मध्यरात्रिक उपरान्स इनका उदय होता है. ऐसा वेदका वर्णन है। दो वैध अश्विनौ हैं ऐसा कई मानते हैं, एक ओषधि प्रयोग करने वाला और दूसरा शस्त्र कर्म करने
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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