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॥ईश्वर मीमांसा ॥
- -- क्या वैदिक देवता ईश्वर हैं ?
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किसी विद्वान ने सत्य ही कहा है कि- ईश्वर ने मनुष्यों को नहीं बनाया अपितु मनुष्यों ने ईश्वर की रचना की है ।" यदि ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाये तो ईश्वर का वर्तमान स्वरूप परिवर्तित और परिवर्धितरूप है । क्योंकि प्राचीन भारतीय साहित्य में वर्तमान ईश्वर के लिये कोई स्थान नहीं है । ऋग्वेद जो कि संसार के पुस्तकालय में सत्र से प्राचीन पुस्तक समझी जाती है, उसमें वर्तमान ईश्वर के मंडन को तो बात ही क्या है अपितु उसमें इस ईश्वर शब्द का ही प्रयोग नहीं किया गया है। यही अवस्था सामवेद, और यजुर्वेदकी है । अथर्ववेद, जो कि सब से नवीन वेद है, उसमें सबसे प्रथम इस शब्दके दर्शन होते है, परन्तु वहाँ भी केवल साधारण ( स्वामी ) अर्थ में ही इसका प्रयोग हुश्रा है । अत: जिस प्रकार यह शब्द नवीन है उमसे भी अति नवीनतम-इसका वर्तमान रूप है।