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________________ इन प्रमाणोंसे स्पष्ट सिद्ध है कि-जिसने प्रथम ही धर्मका अथवा मानवताका मार्ग दिखाया उसको वैदिक भाषामें अग्नि कहते हैं. अथवा उसको अनि की उपाधिसे विभूषित किया गया था। अभिप्राय यह है कि वेदोंमें अग्नि शब्दसे प्रथम मनुष्यकी स्तुति की गई है। इसके लिये वेद स्वयं कहता है त्वं ह्यग्ने प्रथमो मनोता ।। ऋ० ६ । १।१ अयं होता प्रथमः पश्यतेममिदं ज्योतिरमृतं मयेषु ।। ऋ०६ । 8.1४॥ अयमिह प्रथमो धायि धातभिर्होता यजिरुहो अध्वरेबीढय ॥ ऋ० ४ । ७ । १ ॥ इन मन्त्रों में अग्निको प्रथम 'मनोता' अर्थात् प्रथम मननकर्ता, प्रथम विचारक तथा प्रथम होता' अर्थात प्रथम याशिक, कहा गया है। तथा च श्रध्वरेषु ईय' अहिंसकोंमें पूज्य भी यही अग्नि है। इस प्रकार धम. ज्ञान, सभ्यता व संस्कृति, के प्रथम प्रचारक को यहाँ अग्नि कहा गया है। उसी प्रथम मनुष्मकी वैदिक साहित्य में प्रजापति, ब्रह्म, ज्येप्रमा, हिरण्यगर्भ, स्कंभ, आदि नामोंसे स्तुति की गई है। ये ही अहिंसकोंके परमपूज्य हैं। अर्थान ये ही अहिंसा धर्मके प्रथम प्रचारक श्री ऋषभदेव है। . वैश्वानर अग्नि इतो जातो विश्वमिदं विचष्टे वैश्वानरो यतते सूर्येण ।। ऋ. १ । ८1१॥ ( इतः जातः वैश्वानरः इदं विचष्टे).
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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