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________________ ( R) पहिला मानव 'अग्नि'1. त्यामग्ने प्रथममायुमायवे देवा अकृण्वन नहुषस्य विश्यतिम् ॥ ऋ०१ । ३१ । ११ इस मन्त्री प्रथम मनुष्यको अनि कहा गया है । पं.सानबलेकरजीने इस मन्त्रका अर्थ करते हुए लिखा है, किं—'देवोंके द्वारा इस प्रकार जो 'पहिला मनुष्य' बनाया गया उसका नाम अनि है. और उसकी पत्नी पाए है। लापत्र नमुना नी श्रमि हैं. अर्थान् मानव प्राणी अग्मि शब्दसे वेदमें लिया जाता है । वेद मन्त्रामें अग्निके अनेक अर्थ होंगे: परन्तु उसमें एक 'मानव प्राणी' है, इसमें कोई शंका नहीं है।" स्वमग्ने प्रथमो अंगिरस्तमः कचिदेवानां परिभूषसित्रतम् । ऋ० १।३१ । २ ।। • त्वमग्ने प्रथमो अंगिरा ऋषिदेवो देवानामभवः शिवः सखा ।। ऋ०१ । ३१ । १ इन मन्त्रों में कहा है कि- पहिला अंगिरा ऋषि' अग्निही है, यही पहिला मानव समझना चाहिये । पहिला मानव जो अंगिरा ऋषि था वही अमि नामसे प्रसिद्ध है। तथा च अंगिरसोंमें सबसे पहिला कवि अग्नि ही है। यही मनुष्योंसे पहिला मानव अग्मि है। ___ श्री मायनाचार्यके भाध्वम लिखा है कि "हे अग्ने ! देवान पहले पुरवाके मानवरूप धारी पौत्र नहुषको तुम्हें मनुष्य शरीरवान सेनापति बनाया ।" इसे भी अग्निवेंन्त्र का मनुष्य ही भिद्ध होता है।
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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