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सोम-अस्य ते सजोषसो विश्वे देवासी अद्र है:
।8। १०२ । ५। विश्वस्यः उत तितयो हस्ते अस्य ।।६।६। विश्वा संपश्यन् भुवनानि विचक्षसे । १०२५।६। तुम्येमा भुवना को महिम्ने सोम तस्थिरे।। 8२२७ जनिता दिवो जनिता पृथिव्याः जनिता अग्नेः । जनिता सूरस्य जनिता इन्द्रस्य जनिता विष्णोः ॥
ह। ६६ । । । पिता देवानाम् । १।१०६ |४, । ७ १२
सोम के ही व्रत वा कर्म में अन्य देव अवस्थित हैं। विश्व के सभी प्राणी सोम के हाथ में हैं, सोम ही त्रिभुवन का बहन करता है या विश्व, सोम को हो महिमा में स्थित है। सोम सब देवताओं का जनक है। इन सभी स्थलों में सोम-कारण सत्ता है।
विश्वेदेवासस्त्रय एकादशासः ।। 8२ 1.४ ।।
देवो देवानां गुह्यानिनाम साविकणोति | 818५। २ है सोम ? तेतीस संख्यक देवतावर्ग सभी तुम में हो तुम्हारे ही भीतर अवस्थित है । सोम ही समस्त देवताओं का जो गूढ़ नाम है उसे प्रकाशित करता है इन्द्र को लक्ष्य करके जो कुछ कहा गया है. सो भी यही तत्व है। ___ इन्द्र ! विश्वेत इन्द्र वीर्य देवा अनुऋतु ददुः ।
६७ __ न यस्य देवा देवता न मयाँ प्रापश्चन शवसो अन्त मापुः |११००१५