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अपनी तुच्छता का भान होने लगता है । वह आराध्य के प्रति आकर्षित होता जाता है और उसके प्रति श्रद्धा और प्रेम से परिपूर्ण हो जाता है । इस श्रद्धा और प्रेम के वशीभूत होकर वह अपने आराध्य को मन में संजोए रखकर विकास की प्रेरणा प्राप्त करता रहता है । जितेन्द्रिय कोतराग आराध्य उसको वीतरामा अनासक्त बनने की दिशा में प्रेरित करता है। वीतराग आराध्य भक्त का सहारा बनकर उसे आत्मानुभूति आत्मानन्द में उतर जाने को ओर इंगित करता है। यही भक्ति की पूर्णता है। इस तरह से वोतराग को भक्ति वीतरागी बना देती है। भक्ति की परिपूर्णता में वीतरागी के प्रति राग तिरोहित हो जाता है । यहाँ यह समझना चाहिए कि भक्ति को प्रारम्भिक अवस्था में भी वीतरागी आराध्य के प्रति राग वस्तुओं
और मनुष्यों के राग से भित्र प्रकार का होता है। उसे हम उदात्त राग कह सकते हैं । इस उदात्त राग से संसार के प्रति आसक्ति घटती है और व्यक्ति मानसिक तनाव से मुक्त होता जाता है। इस उदात्त राग से वर्तमान जीवन को एवं जन्म-जन्म की कुप्रवृत्तियां नष्ट हो जाता है और लोकोपयोगी संप्रवृत्तियों का जन्म होता है। इस तरह से इससे एक ऐसे पुण्य की प्राप्ति होती हैं जिसके द्वारा संचित पाप को नष्ट किए जाने के साथ-साथ समाज में विकासोन्मुख परिस्थितियों का निर्माण होता है। भक्ति की सरसता से व्यक्ति ज्ञानात्मक-कलात्मक स्थायी सांस्कृतिक विकास की ओर झकता है। वह तीर्थंकरों द्वारा निर्मित शाश्वत जीवन-मूल्यों का रक्षक बनने में गौरव अनुभव करता है । इस तरह भक्ति व्यक्ति एवं समाज के नैतिक- आध्यात्मिक विकास को दिशा प्रदान करती है।
प्रस्तुत पुस्तक 'द्यानत भजन सौरभ' में भक्त कवि द्यानतरायजी द्वारा रचित ३२८ भजनों, स्तुतियों, बिनतियों का संकलन किया गया है। विविध भावों और विभिन्न विषयों पर आधारित हैं ये भजन । विषय-वस्तु का वर्गीकरण विवेचन निम्न प्रकार है
तीर्थकर - स्वरूप, महिमा, स्तुति - ऐसे मनुष्य जिन्होंने अपने मूल्यात्मक चिन्तन और तदनुकूल आचरण से शाश्वत मूल्यों को पहचानकर जीवन की ऊँचाइयों को पा लिया है, जिन्होंने उन शाश्वत मूल्यों को अपने जीवन में आचरित कर उन्हें लोक के सामने आदर्शों के रूप में स्थापित किया है उन्हें जैनधर्म में 'तीर्थकर' कहते हैं। लोक को कल्याण का मार्ग दिखाने के कारण 'तीर्थकर' प्राणीमात्र के लिए 'आदर्श' हो जाते हैं।
१. जैन ग्रन्थ रत्नाकर. बम्बई से १९०९ में प्रकाशित 'जैन पद मंग्रह', चतुर्थ भाग से संकलित |
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