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नहीं है । जिस पेड़ के चारों ओर आग लगी है वह उसी पेड़ की डाल पर बैठा हुआ है। कैसा अनाड़ी वह !::::
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__यह देह रक्त, हाड़, मांस की थैली है, इसी में यह आत्मा ठहरा हुआ है। द्यानतराय कहते हैं कि अरे तू तो तीन लोक का स्वामी है, ज्ञाता है। तू क्यों अज्ञानी होकर भिखारी हो रहा है, क्यों तु दुसरे पर आश्रित हो रहा है?
झानत भजन सौरभ
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