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एक पहर दिन चढ़ने पर राज्याभिषेक हुआ। लक्ष्मी की प्राप्ति हुई। दोपहर बीतते-बीतते उसको चिता जलने लगी अर्थात् उसकी मृत्यु हो गई और मित्रगण उसके ठोके देकर जलाने लगे।
कभी कहीं तीसरे प्रहर कोई शुभ कार्य हुआ तो खूब नाच-गान हुए, बहुतसा दान दिया गया और साँझ के समय फिर कोई अशुभ घटना हो गई और फिर सब रोने लगे, हाहाकार हो गया। ___कोई पुरुष अपनी स्त्री को बहुत चाहता है और स्त्री पुरुष को चाहती है, तो वह ही पुरुष काम के वशीभूत होकर उसमें जलता हुआ फिर दूसरी स्त्री को चाहने लगता है। ___ प्रियतम को देखकर पुत्र से अनुगृहीत होती है और अपने पुत्र को लोरियाँ सुनाती है। वह लड़का बड़ा होकर अपने लड़के से राग करने लगता है फिर वह अपने माता-पिता के कहने पर भी उनकी ओर नहीं आता।
कोड़ा-कोड़ि द्रव्य/धन पाया, जिसकी तुलना सागर से की जाती है, उस पर शासन किया, आधिपत्य रखा पर मृत्यु आई तो कड़ी खीचड़ी खाई। मृत्यु के दिन जो भोजन किया जाता है वह विष समान कडुआ प्रतीत होता है।
जिस शरीर का तू नित्य पोषण करता है वह निरन्तर सूखता जाता है । तू हार जाता है और वह जीत जाता है। द्यानतराय कहते हैं कि ओ मित्र! ऐसे में जो कुछ भजन, आत्म-चिंतन तेरे द्वारा किया जा सके वह हो तेरा है, अन्य कुछ भी तेरा नहीं है।
ठोक = ठोकरें।
छानत भजन सौरभ