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________________ सूत्रांक विषय पृष्ठांक १७०६ २३. केवली समुद्घातानंतर मनोयोगादि के योजन का प्ररूपण, २४. केवली समुद्घातानंतर और मोक्षगमन का प्ररूपण, १७०६-१७०७ ४४. चरमाचरम अध्ययन १७११ चरमाचरम का लक्षण, १७०९ एकत्व-बहुत्व की विवक्षा से जीव-चौबीसदंडकों में गति आदि ग्यारह द्वारों से चरमाचरमत्व का प्ररूपण, १७०९ (१) गति द्वार, १७०९ (२) स्थिति द्वार, १७०९ (३) भव द्वार, १७०९-१७१० (४) भाषा द्वार, १७१० (५) आनपान द्वार, १७१० (६) आहार द्वार, १७१० (७) भाव द्वार, - १७१०-१७११ (८) वर्ण द्वार, (९) गंध द्वार, १७११ (१०) रस द्वार, १७११ (११) स्पर्श द्वार, १७११-१७१२ ३. एकत्व-बहुत्व की विवक्षा से जीव-चौबीसदंडक और सिद्धों में जीवादि चौदह द्वारों से चरमाचरमत्व का प्ररूपण, १७१२ (१) जीव द्वार, १७१२ (२) आहारक द्वार, १७१२ (३) भवसिद्धिक द्वार, १७१२ (४) संज्ञी द्वार, १७१३ (५) लेश्या द्वार, १७१३ (६) दृष्टि द्वार, १७१३ (७) संयत द्वार, १७१३ (८) कषाय द्वार, १७१३ - (९) ज्ञान द्वार, १७१३ (१०) योग द्वार, . १७१३ (११) उपयोग द्वार, (१२) वेद द्वार, १७१४ (१३) शरीर द्वार, १७१४ (१४) पर्याप्तक द्वार, १७१४ ४. चरम और अचरमों के अन्तर का प्ररूपण, १७१४ ५. चरमाचरमों का अल्पबहुत्व, १७१४ अजीवों का चरमाचरमत्व ६. परिमंडलादि संस्थानों के चरमाचरमत्व का प्ररूपण, १७१४-१७१५ ७. परिमंडलादि संस्थानों का द्रव्यादि की अपेक्षा चरमाचरमत्व आदि का अल्पबहुत्व, १७१५-१७१८ द्रव्यादि की अपेक्षा परमाणु पुद्गल के चरमाचरमत्व का प्ररूपण, १७१८ ९. परमाणु पुद्गल और स्कन्धों में चरमाचरम का प्ररूपण, १७१८-१७२५ १०. आठ पृथ्वियों और लोकालोक के चरमाचरमत्व का प्ररूपण, . १७२५-१७२६ ११. चरमाचरम की कायस्थिति का प्ररूपण, १७२६ १७१३ (५८)
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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