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________________ सूत्रांक विषय पृष्ठांक ४. आत्मा द्वारा शब्दों के अनुभूति स्थान का प्ररूपण, ५. प्राणातिपातादि में प्रवर्तमान जीवों और जीवात्माओं में एकत्व का प्ररूपण, ६. प्राणातिपातादि के आत्म परिणामित्व का प्ररूपण, ७. द्रव्यात्मादि आठ आत्माओं के परस्पर सहभाव का प्ररूपण, ८. द्रव्यादि आत्माओं का अल्पबहुत्व, ९. शरीर को छोड़कर आत्मनिर्याण के द्विविधत्व का प्ररूपण, १६७६ १६७६-१७७७ १६७७ १६७७-१६७९ १६७९ १६७९ ४३. समुद्घात अध्ययन १. समुद्घात के भेदों का प्ररूपण, सामान्य से समुद्घातों का स्वामित्व, ३. औधिक समुद्घातों का ओघ से काल प्ररूपण, चौवीसदंडकों में समुद्घातों का प्ररूपण, रत्नप्रभादि सात पृथ्वियों में नैरयिकों के समुद्घातों का प्ररूपण, ६. सम्मूर्छिम-गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों और मनुष्यों की समुद्घात संख्या का प्ररूपण, औधिक और अनन्तरोपपन्नकादि ग्यारह स्थानों में एकेन्द्रियों के समुद्घातों का प्ररूपण, ८. सौधर्मादि वैमानिक देवों में समुद्घातों का प्ररूपण, चौवीसदंडकों में एकत्व-बहुत्व द्वारा अतीत अनागत समुद्घातों का प्ररूपण, १०. चौवीसदंडकों का चौबीसदंडकों में एकत्व-बहुत्व द्वारा अतीत-अनागत्व समुद्घातों का प्ररूपण, (१) वेदना समुद्घात, (२) कषाय समुद्घात, (३) मारणांतिक समुद्घात, (४) वैक्रिय समुद्घात, (५) तेजसू समुद्घात, (६) आहारक समुद्घात, (७) केवली समुद्घात, ११. जीव-चौवीसदंडकों में समुद्घातों के क्षेत्र काल और क्रिया का प्ररूपण, (१) वेदना समुद्घात, (२) कषाय समुद्घात, (३) मारणांतिक समुद्घात, (४) वैक्रिय समुद्घात, (५) तेजस् समुद्घात, (६) आहारक समुदघात, १२. मारणांतिक समुद्घात से समवहत जीवों में आहारादि का प्ररूपण, १३. चौवीसदंडकों में मारणांतिक समुद्घात से समवहत-असमवहत होकर मरण का प्ररूपण, १४. जलचर-स्थलचर खेचरों का मारणांतिक समुद्घात से समवहत-असमवहत होकर मरण का प्ररूपण, समुद्घात समवहत व असमवहत जीव और चौवीसदंडकों का अल्पबहुत्व, छाद्यस्थिक समुद्घातों का विस्तार से प्ररूपण, कपाय समुद्घात का विस्तार से प्ररूपण, केवली समुद्घात के प्रयोजन और कार्य का प्ररूपण, १९. केवली समुद्घात से निर्जीर्ण चरम पुद्गलों के सूक्ष्मादि का प्ररूपण, २०. केवली समुद्घात के समय का प्ररूपण, २१. आवर्जीकरण के समय का प्ररूपण, २२. केवली समुद्घात में योग-योजन का प्ररूपण, १६८१ १६८१ १६८१ १६८१-१६८२ १६८२ १६८२-१६८३ १६८३ १६८३-१६८४ १६८४-१६८६ १६८६ -१६८६ १६८७-१६८८ १६८८ १६८८ १६८८ १६८९ १६८९-१६९१ १६९१ १६९१-१६९२ १६९२ १६९२-१६९३ १६९३ १६९३-१६९४ १६९४ १६९४-१६९६ १६९६ १६९६ १६९६-१६९९ १६९९-१७०० १७00-१७०३ १७०३ १७०३-१७०४ १७०५ १७०५ १७०५-१७०६ (५७)
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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