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________________ १९०७ प्रकीर्णक १.आलावे, २.अणालावे, ३. उल्लावे, ४. अणुल्लावे, ५.संलावे, ६. पलावे, ७.विप्पलावे। -ठाणं. अ.७,सु.५८४ ३८. विकहा सत्त पगारा सत्त विकहाओ पण्णत्ताओ, तं जहा१. इथिकहा, २. भत्तकहा, ३. देसकहा, ४. रायकहा, ५. मिउकालुणिया, -ठाण. अ.७.सु.५६९ ६. दंसणभेयणी, ७. चरित्तभेयणी। ३९. सत्त भयट्ठाणाणि सत्त भयट्ठाणा पण्णत्ता, तं जहा१. इहलोगभए, २. परलोगभए, ३. आदाणभए, ४. अकम्हाभए, ५. आजीवभए, ६. मरणभए, ७. असिलोग भए। ४०. आउव्वेदस्स अटुंगाणि अट्ठविहे आउव्वेदे पण्णत्ते, तं जहा१. कुमारभिच्चे, २. कायतिगिच्छा. ३. सालाई, १. आलाप-थोड़ा बोलना, २. अनालाप-कुत्सित आलाप करना, ३. अल्लाप-गुनगुनाकर बोलना, ४. अनुल्लाप-कुत्सित ध्वनिविकार के द्वारा बोलना, ५. संलाप-परस्पर भाषण करना, ६.प्रलाप करना, ७. विप्रलाप-विरुद्ध वचन बोलना। ३८. विकथा के सात प्रकार विकथाएँ सात प्रकार की कही गई हैं, यथा१. स्त्रीकथा, २. भक्तकथा, ३. देशकथा, ४. राज्यकथा ५. मृदुकारुणिकी-वियोग के समय करुणारस उत्पन्न करने वाली वार्ता, ६. दर्शनभेदिनी-सम्यक्दर्शन का विनाश करने वाली वार्ता, ७. चारित्रभेदिनी-चारित्र का विनाश करने वाली वार्ता। ३९. सात भय स्थान सात भय स्थान कहे गए हैं, यथा१. इहलोक भय-सजातीय का सजातीय से भय, २. परलोक भय-विजातीय से भय, ३. आदान भय-धन आदि के अपहरण से भय, ४. अकस्मात् भय-किसी बाह्य निमित्त के बिना होने वाला भय, ५. आजीव भय-आजीविका का भय, ६. मरण भय-मृत्यु का भय, ७. अश्लोक भय-अपकीर्ति का भय। ४०. आयुर्वेद के आठ अंग आयुर्वेद के आठ प्रकार कहे गए हैं, यथा१. कुमारभृत्य-बालकों का चिकित्साशास्त्र, २. कायचिकित्सा-ज्वर आदि रोगों का चिकित्साशास्त्र, ३. शालाक्य-कान, मुँह, नाक आदि के रोगों की शल्य चिकित्सा का शास्त्र, ४. शल्यहत्या-शल्य चिकित्सा का शास्त्र, ५. जंगोली-विष चिकित्सा का शास्त्र, ६. भूतविद्या-देव, असुर, गंधर्व, यक्ष, राक्षस, पिशाच आदि से ग्रस्त व्यक्तियों की चिकित्सा का शास्त्र। ७. क्षारतन्त्र-वीर्य पुष्टि का शास्त्र, ८. रसायन-पारद आदि धातुओं के द्वारा की जाने वाली चिकित्सा का शास्त्र। ४१. पुण्य के नौ प्रकार पुण्य के नौ प्रकार कहे गए हैं, यथा१. अन्नपुण्य, २. पानपुण्य, ३. वस्त्रपुण्य, ४. लयनपुण्य, ५. शयनपुण्य, ६. मनपुण्य, -सम.सम.७,सु.१ ४. सल्लहत्ता, ५. जंगोली, ६. भूयविज्जा। ७. खारतंते, ८. रसायणे। -ठाणं. अ.८,सु.६११ ४१. पुण्णस्सणव पगारा णवविहे पुण्णे पण्णत्ते,तंजहा१. अण्ण पुण्णे, ३. वत्थ पुण्णे, ५. सयण पुण्णे, २. पाण पुण्णे, ४. लयण पुण्णे, ६. मण पुण्णे,
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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