SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 446
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकीर्णक ३. एगे आयतिगिच्छए वि, परतिगिच्छए वि, ४. एगे णो आयतिगिच्छए,णो परतिगिच्छए। -ठाणं. अ.४,उ.४,सु.३४२ २३. विकहाओ भेयप्पभेय परूवर्ण चत्तारि विकहाओ पण्णत्ताओ, तं जहा१. इत्थिकहा, २. भत्तकहा, ३. देसकहा, ४. राय कहा। (१) इथिकहा चउव्विहा पण्णत्ता,तं जहा१. इत्थीणं जाइकहा, २. इत्थीणं कुलकहा, ३. इत्थीणं रूवकहा, ४. इत्थीणं णेवत्थकहा। (२) भत्तकहा चउव्विहा पण्णत्ता,तं जहा१. भत्तस्स आवावकहा, २. भत्तस्स णिव्वावकहा, ३. भत्तस्स आरंभकहा, ४. भत्तस्स णिट्ठाणकहा, (३) देसकहा चउव्विहा पण्णत्ता,तं जहा१. देसविहिकहा, २. देसविकप्पकहा, ( १९०१ ) ३. कुछ चिकित्सक अपनी चिकित्सा भी करते हैं और दूसरों की भी चिकित्सा करते हैं, ४. कुछ चिकित्सक न अपनी चिकित्सा करते हैं और न दूसरों की चिकित्सा करते हैं। २३. विकथा के भेद-प्रभेदों का प्ररूपण विकथा चार प्रकार की कही गई है, यथा१. स्त्री कथा, २. भक्त कथा, ३. देश कथा, ४. राजकथा, (१) स्त्री कथा चार प्रकार की कही गई है, यथा१. स्त्रियों की जाति की कथा, २. स्त्रियों के कल की कथा, ३. स्त्रियों के रूप की कथा, ४. स्त्रियों के वेशभूषा की कथा। (२) भक्तकथा चार प्रकार की कही गई है, यथा१. आवापकथा-रसोई घृतादि की कच्ची सामग्री की चर्चा करना, २. निर्वापकथा-बनी हुई सामग्री की चर्चा करना, ३. आरंभकथा-भोज्य सामग्री की लागत आदि की चर्चा करना, ४. निष्ठानकथा-भोज्य सामग्री में व्यय होने आदि की चर्चा करना। (३) देशकथा चार प्रकार की कही गई है, यथा१. देशविधिकथा-विभिन्न देशों के शासन व्यवस्था की चर्चा करना, २. देशविकल्प कथा-विभिन्न देशों में उत्पन्न होने वाली वस्तुओं की चर्चा करना, ३. देशच्छंदकथा-विभिन्न देशों के सामाजिक रीति रिवाजों की चर्चा करना, ४. देशनेपथ्यकथा-विभिन्न देशों के पहनावे की चर्चा करना। (४) राजकथा चार प्रकार की कही गई है, यथा१. राजा के अतियान-नगर आदि के प्रवेश की कथा करना, २. राजा के निर्याण-निष्क्रमण की कथा करना, ३. राजा की सेना और वाहनों की कथा करना, ४. राजा के कोश और कोष्ठागार-अनाज के कोठों की कथा करना। २४. दण्ड के पाँच प्रकार दण्ड पाँच प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. अर्थदण्ड-प्रयोजनवश त्रस या स्थावर प्राणियों की हिंसा करना, २. अनर्थदण्ड-निष्प्रयोजन हिंसा करना, ३. हिंसादण्ड-यह मुझे मार रहा है, मारेगा या मारा था इसलिए हिंसा करना, ४. अकस्मात्दण्ड-एक के वध के लिए प्रहार करने पर दूसरे का वध हो जाना, ५. दृष्टि विपर्यास दण्ड-मित्र को अमित्र जानकर दण्डित करना। २५. निधि के पाँच प्रकार निधि पाँच प्रकार की कही गई हैं, यथा१. पुत्रनिधि, २. मित्रनिधि, ३. देसच्छंदकहा, ४. देसणेवत्थकहा। (४) रायकहा चउव्विहा पण्णत्ता,तं जहा१. रण्णो अतियाणकहा, २. रण्णो णिज्जाणकहा, ३. रण्णो बल-वाहणकहा, ४. रण्णो कोस-कोट्ठागारकहा। -ठाणं. अ.४, उ.२, सु.२८२ २४. दंडस्स पंच पगारा पंच दंडा पन्नत्ता,तं जहा१. अट्ठादंडे, २. अणट्ठादंडे, ३. हिंसादंडे, ४. अकम्मादंडे, -ठाणं. अ.५, उ.२, सु.४१८ ५. दिट्ठीविपरियासिया दंडे। २५. णिहिस्स पंच पगारा पंच णिही पण्णत्ता,तं जहा१. पुत्तणिही, २. मित्तणिही,
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy