SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 434
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८८९ पुद्गल अध्ययन प. जस्स णं भंते ! वेउब्वियसरीरस्स सव्वबंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स किं बंधए,अबंधए? उ. गोयमा ! नो बंधए, अबंधए। आहारगसरीरस्स एवं चेव। तेयगस्स कम्मगस्स य जहेव ओरालिएणं समं भणियं तहेव भाणियव्वं जाव देसबंधए, नो सव्वबंधए। प. जस्स णं भंते ! वेउब्वियसरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स किं बंधए, अबंधए? उ. गोयमा ! नो बंधए, अबंधए। एवं जहा सव्वबंधेणं भणियं तहेव देसबंधेण वि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स। प. जस्स णं भंते ! आहारगसरीरस्स सव्वबंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स किं बंधए, अबंधए? उ. गोयमा ! नो बंधए, अबंधए। एवं वेउव्वियस्स वि। तेया-कम्माणं जहेव ओरालिएणं समं भणियं तहेव भाणियव्यं। प. जस्स णं भंते ! आहारगसरीरस्स देसबंधे से णं भंते! ओरालियसरीरस्स किं बंधए, अबंधए? प्र. भन्ते ! जिस जीव के वैक्रियशरीर का सर्वबन्ध है तो भन्ते! क्या वह औदारिक शरीर का बन्धक है या अबन्धक है ? उ. गौतम ! वह बन्धक नहीं है अबन्धक है।' इसी प्रकार आहारकशरीर के विषय में भी कहना चाहिए। तैजस और कार्मण शरीर के विषय में जैसे औदारिक शरीर के साथ कथन किया है, वैसा ही देशबन्धक है, सर्वबन्धक नहीं है पर्यन्त यहाँ भी कहना चाहिए। प्र. भन्ते ! जिस जीव के वैक्रियशरीर का देशबन्ध है तो भन्ते! क्या वह औदारिकशरीर का बन्धक है या अबन्धक है? उ. गौतम ! वह बन्धक नहीं है, अबन्धक है। इसी प्रकार जैसे वैक्रियशरीर के सर्वबन्ध के विषय में कहा गया वैसे ही यहाँ भी देशबन्ध के विषय में भी कार्मणशरीर पर्यन्त कहना चाहिए। प्र. भन्ते ! जिस जीव के आहारकशरीर का सर्वबन्ध है तो भन्ते! क्या वह औदारिक शरीर का बन्धक है या अबन्धक है? उ. गौतम ! वह बन्धक नहीं है, अबन्धक है। इसी प्रकार वैक्रियशरीर के लिए भी कहना चाहिए। तैजस और कार्मणशरीर के विषय में जैसे औदारिकशरीर के साथ कथन किया वैसे ही इनके लिए भी यहाँ कहना चाहिए। प्र. भन्ते ! जिस जीव के आहारकशरीर का देशबन्ध है तो भन्ते! क्या वह औदारिक शरीर का बन्धक है या अबन्धक है? उ. गौतम ! वह बन्धक नहीं है, अबन्धक है। जिस प्रकार आहारकशरीर के सर्वबन्ध के विषय में कहा, उसी प्रकार देशबन्ध के विषय में भी कार्मण शरीर पर्यन्त कहना चाहिए। प्र. भन्ते ! जिस जीव के तैजसूशरीर का देशबन्ध है तो भन्ते ! क्या वह औदारिक शरीर का बन्धक है या अबन्धक है? उ. गौतम ! वह बन्धक भी है और अबन्धक भी है। प्र. यदि वह औदारिकशरीर का बन्धक है तो भन्ते ! क्या वह देशबन्धक है या सर्वबन्धक है? उ. गौतम ! वह देशबन्धक भी है और सर्वबन्धक भी है। प्र. भन्ते ! जिस जीव के तैजसुशरीर का देश बन्ध है तो भन्ते! क्या वह वैक्रिय शरीर का बन्धक है या अबन्धक है? उ. गौतम ! पूर्ववत् कहना चाहिए। इसी प्रकार आहारकशरीर के विषय में भी जानना चाहिए। प्र. भन्ते ! जिस जीव के तैजस शरीर का देशबन्ध है तो भन्ते! क्या वह कार्मणशरीर का बन्धक है या अबन्धक है? उ. गौतम ! वह बन्धक है, अबन्धक नहीं है। प्र. यदि वह कार्मणशरीर का बन्धक है तो भन्ते ! क्या वह देशबन्धक है या सर्वबन्धक है? उ. गौतम ! वह देशबन्धक है, सर्वबन्धक नहीं है। उ. गोयमा ! नो बंधए, अबंधए, एवं जहा आहारगसरीरस्स सव्वबंधेणं भणियं तहा देसबंधण विभाणियव्वं जाव कम्मगस्स। प. जस्स णं भंते ! तेयासरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स किं बंधए, अबंधए? उ. गोयमा ! बंधए वा, अबंधए वा। प. जइ भंते ! ओरालियसरीरस्स बंधए किं देसबंधए, सव्वबंधए? उ. गोयमा ! देसबंधए वा, सव्वबंधए वा। प. जस्स णं भंते ! तेयासरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! वेउव्वियसरीरस्स किं बंधए, अबंधए? उ. गोयमा ! एवं चेव। एवं आहारगसरीरस्स वि। प. जस्स णं भंते ! तेयासरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! कम्मगसरीरस्स किं बंधए, अबंधए? उ. गोयमा ! बंधए, नो अबंधए। प. जइ भंते ! कम्मगसरीरस्स बंधए किं देसबंधए, सव्वबंधए? उ. गोयमा ! देसबंधए, नो सव्वबंधए।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy