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________________ पुद्गल अध्ययन ६. संखेज्जपएसिया खंधा सेया दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ७. ते चेव पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ८. असंखेज्जपएसिया खंधा सेया दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ९. ते चेव पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, १०. परमाणुपोग्गला निरेया दव्वट्ठयाए अपएसट्ठाए असंखेज्जगुणा, ११. संखेज्जपएसिया खंधा निरेया दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, १२. ते चेव पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, १३. असंखेज्जपएसिया खंधा निरेया दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, १४. ते चेव पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, -विया. स.२५, उ. ४, सु. २१० ९५. परमाणुपोग्गलाणं खंधाण य दव्वट्ठ-पएसट्ठयाए बहुयत्त परूवणंदव्वट्ठयाएप. एएसिणं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं दुपएसियाण य खंधाणं दव्वट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो बहुया? उ. गोयमा ! दुपएसिएहिंतो खंधेहिंतो परमाणुपोग्गला दव्वट्ठयाए बहुया। प. एएसि णं भंते ! दुपएसियाणं तिपएसियाण य खंधाणं दव्वट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो बहुया? उ. गोयमा ! तिपएसिएहिंतो खंधेहिंतो दुपएसिया खंधा दव्वट्ठयाए बहुया। एवं एएणं गमएणं जाव दसपएसिएहिंतो खंधेहितो नवपएसिया खंधा दव्वट्ठयाए बहुया। प. एएसि णं भंते ! दसपएसियाणं खंधाणं संखेज्जपएसियाण य खंधाणं दव्वट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो बहुया? उ. गोयमा ! दसपएसिएहिंतो खंधेहिंतो संखेज्जपएसिया खंधा दव्वट्ठयाए बहुया। प. एएसि णं भंते ! संखेज्जपएसियाणं खंधाणं असंखेज्जपएसियाण य खंधाणं दव्वट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो बहुया? उ. गोयमा ! संखेज्जपएसिएहिंतो खंधेहितो असंखेज्ज पएसिया खंधा दव्वट्ठयाए बहुया। प. एएसि णं भंते ! असंखेज्जपएसियाणं खंधाणं अणंतपएसियाण य खंधाणं दव्वट्ठयाए कयरे कयरेहितो बहुया? - १८५७ । ६. (उनसे) सकम्प संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। ७. (उनसे) सकम्प संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। ८. (उनसे) सकम्प असंख्यात-प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। ९. (उनसे) सकम्प असंख्यात-प्रदेशी स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। १०. (उनसे) निष्कम्प परमाणु-पुद्गल द्रव्य और अप्रदेश की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। ११. (उनसे) निष्कम्प संख्यातप्रदेशी स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। १२. (उनसे) निष्कम्प संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। १३. (उनसे) निष्कम्प असंख्यात-प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। १४. (उनसे) निष्कम्प असंख्यात-प्रदेशी स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। ९५. परमाणु पुद्गलों और स्कन्धों का द्रव्य और प्रदेश की अपेक्षा से बहुत्व का प्ररूपणद्रव्य की अपेक्षाप्र. भंते ! इन परमाणु-पुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्धों में द्रव्य विवक्षा से कौन किससे बहुत हैं? उ. गौतम ! द्वि-प्रदेशिक स्कन्धों से परमाणु-पुद्गल द्रव्य विवक्षा __ से बहुत हैं। प्र. भंते ! इन द्वि-प्रदेशिक स्कन्ध और त्रिप्रदेशिक स्कन्धों में द्रव्य की विवक्षा से कौन किससे बहुत हैं ? उ. गौतम ! तीन प्रदेशिक स्कन्धों से द्वि-प्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य विवक्षा से बहुत हैं। इसी प्रकार इस अभिलाप के अनुसार दस प्रदेशी स्कन्धों से नौ प्रदेशी स्कन्ध पर्यन्त द्रव्य विवक्षा से बहुत हैं। प्र. भंते ! इन दस प्रदेशी स्कन्धों और संख्यात प्रदेशी स्कन्धों में द्रव्य विवक्षा से कौन-किससे बहुत हैं ? उ. गौतम ! दस प्रदेशी स्कन्धों से संख्यात प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य विवक्षा से बहुत हैं। प्र. भंते ! इन संख्यात प्रदेशी स्कन्धों और असंख्यात प्रदेशी स्कन्धों में द्रव्य की विवक्षा से कौन किससे बहुत हैं? उ. गौतम ! संख्यात प्रदेशी स्कन्धों से असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य विवक्षा से बहुत हैं। प्र. भंते ! इन असंख्यात प्रदेशी और अनन्तप्रदेशी स्कन्धों में द्रव्य विवक्षा से कौन किससे बहुत हैं?
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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