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________________ १८५६ प. एएसि णं भंते! अनंतपए सियाणं संधाणं सेयाणं निरेयाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा अणतपएसिया खंधा निरेया, २. सेया अनंतगुणा । -विया. स. २५, उ. ४, सु. २०७-२०९ ९४. सेय-निरेव परमाणुपोग्गल खंधाणं दव्वट्ट्याईहिं अप्याबहुयं प. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं संखेज्जपएसियाणं असंखेज्जपएसियाणं अनंतपएसियाण य संचाणं सेवाणं निरेयाण य दव्वट्ट्याए पएसट्ट्याए दव्यपएसट्टयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया या ? उ. गोयमा ! १. सव्वत्योवा अणतपएसिया खंधा निरेया दव्यट्ठयाए २. अनंतपएसिया खंधा सेया दव्वट्ट्याए अनंतगुणा, ३. परमाणुपोग्गला सेया दव्वट्ट्याए अनंतगुणा, ४. संखेज्जपएसिया वंधा सेया दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ५. असंखेज्जपएसिया खंधा सेया दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ६. परमाणुपोग्गला निरेया दव्बट्ट्याए असंखेज्जगुणा, ७. संखेज्जपएसिया खधा निरेया दव्वट्ट्याए संखेज्जगुणा, ८. असंखेज्जपएसिया खंधा निरेया दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, पएसट्टयाए एवं चेव, णवरं परमाणुपोग्गला अपएसट्ट्याए भाणियव्या, संखेज्जपएसिया खंधा निरेया पएसठ्ठयाए असंखेज्जगुणा सेसं तं चैव । दव्वदृठ-पएसठयाए १. सव्वत्थोवा अणतपएसिया खंधा निरेया दव्बट्ट्याए, २. ते चैव पएसट्ट्याए अनंतगुणा, ३. अणतपएसिया खंधा सेया दव्वट्ट्याए अणंतगुणा, ४. ते चेव पएसट्ट्याए अनंतगुणा, ५. परमाणुपोग्गला सेया दव्वट्ठयाए अपएसट्ट्याए तणा द्रव्यानुयोग - ( ३ ) प्र. भंते ! सकम्प और निष्कम्प अनन्त प्रदेशी स्कन्धों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! 9. सबसे अल्प निष्कम्प अनन्त प्रदेशी स्कन्ध हैं। ( उनसे ) सकम्प अनन्त प्रदेशी स्कन्ध अनन्तगुणे हैं। ९४. सकम्प - निष्कम्प परमाणु पुद्गल स्कन्धों का द्रव्यादि की अपेक्षा अल्पबहुत्व प्र. भंते! सकम्प और निष्कम्य परमाणु-पुद्गलों, संख्यात- प्रदेशी स्कन्धों, असंख्यात प्रदेशी स्कन्धों और अनन्त प्रदेशी स्कन्धों में द्रव्य, प्रदेश और द्रव्य-प्रदेश की अपेक्षा कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. निष्कम्प अनन्त - प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा सबसे अल्प हैं। २. ( उनसे ) सकम्प अनन्त प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा अनन्तगुणे हैं। ३. ( उनसे ) सकम्प परमाणु-पुद्गल द्रव्य की अपेक्षा अनन्तगुणे हैं। ४. ( उनसे) सकम्प संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। ५. ( उनसे ) सकम्प असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा ख्यात हैं। ६. ( उनसे) निष्कम्प परमाणु पुद्गल द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। ७. ( उनसे) निष्कम्प संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा संख्यातगुणे हैं। ८. ( उनसे) निष्कम्प असंख्यात - प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। पूर्वोक्त प्रकार से प्रदेश की अपेक्षा भी आठ भंग जानने चाहिए। विशेष - परमाणुपुद्गलों के लिए अप्रदेश की अपेक्षा तथा निष्कम्प असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा असंख्यातगुणे कहने चाहिए। शेष कथन पूर्ववत् है । द्रव्य-प्रदेश की अपेक्षा १. निष्कम्प अनन्त प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा सबसे अल्प हैं। २. ( उनसे) निष्कम्प अनन्त प्रदेशी स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा अनन्तगुणे हैं। ३. सकम्प अनन्त प्रदेशी स्कन्ध द्रव्य की अपेक्षा अनन्तगुणे हैं। ४. ( उनसे ) सकम्प अनन्त प्रदेशी स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा अनन्तगुणे हैं। ५. ( उनसे ) सकम्प परमाणु-पुद्गल द्रव्य और अप्रदेश की अपेक्षा अनन्तगुणे हैं।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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