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________________ पुद्गल अध्ययन ९२. सेय-निरेय परमाणुपोग्गल खचाणं अंतरकाल परूवणं प. परमाणुपोग्गलस्स णं भंते! सेयस्स केवइयं काल अंतर होइ ? उ. गोयमा ! सद्वाणंतर पहुच्च-जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेण असंखेज्ज काल, परद्वाणंतर पडुच्च-जहणणेण एक्कं समयं उक्कोसेण असंखेज्ज काल | प. परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! निरेयस्स केवइयं कालं अंतरं होइ ? उ. गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइ भागं, परट्ठानंतर पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं उक्कोसेण असंखेज्जं कालं । प. दुपएसियस्स णं भंते ! खंधस्स सेयस्स केवइयं कालं अंतरं होइ ? उ. गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं, परट्ठाणंतरं पडुच्च जहणेण एक्कं समयं उक्कोसेणं अणतं कालं । प. दुपएसियस्स णं भंते! खंधस्स निरेयस्स केवइयं काल अंतरं होइ ? उ. गौयमा ! सद्भाणंतर पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभाग, परट्ठाणंतरं पडुच्च-जहण्णेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अनंत काल, एवं जाव अणतपएसियस्स । प. परमाणुपोग्गला णं भंते! सेयाणं केवइयं काल अंतर होइ ? उ. गोयमा ! नत्थि अंतरं । प. परमाणुपोग्गला णं भंते! निरेयाण केवइयं काल अंतर होइ ? उ. गोयमा ! नत्थि अंतरं, एवं जाव अणतपएसियाणं खंधाणं । -विया. स. २५, उ. ४, सु. १९९-२०६ ९३. सेय-निरेय परमाणुपोग्गल खंधाणं अप्पाबहुयं प. एएसि णं भंते! परमाणुपोग्गलाणं सेयाणं निरेयाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया या ? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा परमाणुपोग्गला सेया, २. निरेया असंखेज्जगुणा । एवं जाव असंखेज्जपएसियाणं खंधाणं। १८५५ ९२. सकम्प निष्कम्प परमाणु पुद्गल स्कन्धों के अन्तर काल का प्ररूपण प्र. भंते! (एक) सकम्प परमाणु-पुद्गल का अन्तर काल कितना होता है ? उ. गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा- जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यातकाल का होता है। परस्थान की अपेक्षा - जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल का होता है। प्र. भंते ! निष्कम्प परमाणु- पुद्गल का अन्तरकाल कितना होता है ? उ. गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा- जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग का होता है। परस्थान की अपेक्षा - जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल का होता है। प्र. भंते ! सकम्प द्विप्रदेशी स्कन्ध का अन्तर काल कितना होता है ? उ. गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा - जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल का होता है। परस्थान की अपेक्षा - जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अनन्त काल का होता है। प्र. भंते ! निष्कम्प द्विप्रदेशी स्कन्ध का अन्तरकाल कितना होता है ? उ. गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा - जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग का होता है, परस्थान की अपेक्षा - जघन्य एक समय और उत्कृष्ट 'अनन्तकाल का होता है। इसी प्रकार सकम्प - निष्कम्प अनन्त- प्रदेशी स्कन्ध पर्यन्त अन्तर काल जानना चाहिए। प्र. भंते ! सकम्प परमाणु पुद्गलों का अन्तर काल कितना होता है ? उ. गौतम ! उनमें अन्तर काल नहीं होता है। प्र. भंते ! निष्कम्प परमाणु-पुद्गलों का अन्तरकाल कितना होता है ? उ. गौतम ! उनका भी अन्तर काल नहीं होता है। इसी प्रकार सकम्प - निष्कम्प अनन्त- प्रदेशी स्कन्धों पर्यन्त अन्तर काल जानना चाहिए। ९३. सकम्प - निष्कम्प परमाणु पुद्गल स्कन्धों का अल्पबहुत्व प्र. भंते! इन सकम्प और निष्कम्प परमाणु पुद्गलों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम ! १. सबसे थोड़े सकम्प परमाणु पुद्गल हैं, २. ( उनसे) निष्कम्प परमाणु-पुद्गल असंख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार असंख्यात प्रदेशी स्कन्धों पर्यन्त के अल्पबहुत्व के विषय में जानना चाहिए।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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