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________________ १८४८ ( १८४८ ) ३. सिय देसे एयइ, देसे नो एयइ, ४. सिय देसे एयइ, नो देसा एयंति, ५. सिय देसा एयंति,नो देसे एयइ, प. चउप्पएसिए णं भंते ! खंधे एयइ, नो एयइ? उ. गोयमा ! १.सिय एयइ, २. सिय नो एयइ, ३. सिय देसे एयइ, नो देसे एयइ, ४. सिय देसे एयइ, नो देसा एयंति, ५. सिय देसा एयंति, नो देसे एयइ, ६. सिय देसा एयंति, नो देसा एयंति, जहा चउप्पदेसिओ तहा पंच पदेसिओ, एवं जाव अणंतपदेसिओ। -विया. स. ५, उ. ७, सु. १-२ द्रव्यानुयोग-(३) ३. कदाचित् एक अंश से कांपता है और एक अंश से नहीं कांपता है, ४. कदाचित् एक अंश से कांपता है और बहुत अंशों से नहीं कांपता है, ५. कदाचित् बहुत अंशों से कांपता है और एक अंश से नहीं कांपता है, प्र. भंते ! क्या चतुष्पदेशिक स्कन्ध कांपता है और नहीं कांपता है? उ. गौतम ! १. कदाचित् कांपता है, २. कदाचित् नहीं कांपता है, ३. कदाचित् एक अंश से कांपता है और एक अंश से नहीं कांपता है। ४. कदाचित् एक अंश से कांपता है और बहुत अंशों से नहीं कांपता है, ५. कदाचित् बहुत अंशों से कांपता है और एक अंश से नहीं कांपता है, ६. कदाचित् बहुत अंशों से कांपता है और बहुत अंशों से नहीं कांपता है। जिस प्रकार चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के लिए कहा उसी प्रकार पंचप्रदेशी स्कन्धों से अनन्तप्रदेशी स्कन्धों पर्यन्त कहना चाहिए। ८३. परमाणु पुद्गल स्कन्धों में यथायोग्य देशकम्पक आदि का प्ररूपणप्र. भंते ! परमाणु पुद्गल देशकम्पक (कुछ अंश से कम्पित होने वाला) है, सर्वकम्पक (पूर्णतया कम्पित होने वाला) है या निष्कम्पक है? उ. गौतम ! परमाणु-पुद्गल देश कम्पक नहीं है, वह कदाचित् सर्वकम्पक है, कदाचित् निष्कम्पक है। प्र. भंते ! द्विप्रदेशी स्कन्ध देशकम्पक है, सर्वकम्पक है या निष्कम्पक है? उ. गौतम ! वह कदाचित् देशकम्पक है, कदाचित् सर्वकम्पक है और कदाचित् निष्कम्पक है। इसी प्रकार अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध पर्यन्त जानना चाहिए। प्र. भंते ! (बहुत) परमाणु-पुद्गल देशकम्पक हैं, सर्वकम्पक हैं या निष्कम्पक हैं? उ. गौतम ! वे देशकम्पक नहीं हैं, किन्तु सर्वकम्पक हैं और निष्कम्पक भी हैं। प्र. भंते ! (बहुत) द्विप्रदेशी-स्कन्ध देशकम्पक हैं, सर्वकम्पक हैं या निष्कम्पक हैं? उ. गौतम ! वे देश कम्पक भी हैं,सर्वकम्पक भी हैं और निष्कम्पक भी हैं। इसी प्रकार अनन्तप्रदेशी स्कन्धों पर्यन्त जानना चाहिए। ८३. परमाणु पोग्गल-खंधेसु जहाजोगं देसेयाइ परूवणं प. परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं देसेए,सव्वेए, निरेए? उ. गोयमा ! नो देसेए, सिय सव्वेए, सिय निरेए, प. दुपएसिए णं भंते ! खंधे देसेए, सव्वेए, निरेए? उ. गोयमा ! सिय देसेए, सिय सव्वेए, सिय निरेए, ____एवं - जाव -अणंतपएसिए। प. परमाणुपोग्गला णं भंते ! किं देसेया, सव्वेया, निरेया? उ. गोयमा ! नो देसेया, सव्वेया वि, निरेया वि, प. दुपएसिया णं भंते ! खंधा किं देसेया, सव्वेया, निरेया? उ. गोयमा ! देसेया वि, सव्वेया वि, निरेया वि, एवं - जाव -अणंतपएसिया। -विया. स. २५, उ.४, सु.२११-२१६
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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