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________________ १८४१ उ. गौतम ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध १. अपने स्वरूप की अपेक्षा सद्प है, २. पर रूप की अपेक्षा असऐप है, ३. उभय रूप की अपेक्षा सद्-असद्प होने से अवक्तव्य है। पुद्गल अध्ययन उ. गोयमा ! तिपएसिए खंधे १. अप्पणो आइठे आया, २. परस्स आइठे नो आया, ३. तदुभयस्स आइठे अवत्तव्वं-आया इय, नो आया इय, ४. देसे आइ8 सब्भावपज्जवे, देसे आइठे असब्भावपज्जवे, तिपएसिए खंधे आया य, नो आया य, ५. देसे आइठे सब्भावपज्जवे, देसा आइट्ठा असब्भावपज्जवा, तिपएसिए खंधे आया य, नो आयाओ य, ६. देसा आइट्ठा सब्भावपज्जवा, देसे आइट्टे असब्भावपज्जवे, तिपएसिए खंधे आयाओ य, नो आयाओय, ७. देसे आइछे सब्भावपज्जवे, देसे आइटे तदुभयपज्जवे, अवत्तव्यं आयाइ य, नो आयाइ य, तिपएसिए खंधे आया य, आयाओ य, ८. देसे आइठे सब्भावपज्जवे, देसा आइट्ठा तदुभयपज्जवा, तिपएसिए खंधे आया य, अवत्तव्वाइं आयाओ य,नो आयाओय, ९. देसा आइट्ठा सब्भावपज्जवा, देसे आइट्टे तदुभयपज्जवे, तिपएसिए खंधे आयाओ य, अवत्तव्व-आया इयनो आया इय,एए तिन्नि भंगा, ४. सद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा और असद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा त्रिप्रदेशी स्कन्ध सद्-असद्रूप है। ५. सद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा और असद्भाव पर्याय वाले अनेक देशों की अपेक्षा त्रिप्रदेशी स्कन्ध सद्रूप है और असद्रूप नहीं है। ६. सद्भाव पर्याय वाले अनेक देशों की अपेक्षा और असद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा त्रिप्रदेशी स्कन्ध सद्रूप है और असदुरूप नहीं है। ७. सद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा और उभय (सद्भाव और असद्भाव) पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा त्रिप्रदेशी स्कन्ध सद्प और सद्-असद्रूप होने से अवक्तव्य है। ८. सद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा और उभयपर्याय वाले अनेक देशों की अपेक्षा त्रिप्रदेशी स्कन्ध सद्प और सद्-असद्रूप होने से अवक्तव्य है। ९. सद्भाव-पर्याय वाले अनेक देशों की अपेक्षा और उभयपर्याय वाले एक देश की अपेक्षा त्रिप्रदेशी स्कन्ध सद्रूप हैं और सद्-असद्रूप होने से अवक्तव्य हैं। ये (अस्ति अवक्तव्य के) तीन भंग जानने चाहिए। १०. असद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा और उभयपर्याय वाले एक देश की अपेक्षा त्रिप्रदेशी स्कन्ध असद्प है और सद्-असद्प होने से अवक्तव्य है। ११. असद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा और तदुभय पर्याय वाले अनेक देशों की अपेक्षा त्रिप्रदेशी स्कन्ध असद्प है और सद्-असद्प होने से अवक्तव्य है। १२. असद्भाव पर्याय वाले अनेक देशों की अपेक्षा और तदुभय पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा त्रिप्रदेशी स्कन्ध असद्रूप हैं और सद्-असद्रूप होने से अवक्तव्य है। ये (नास्ति अवक्तव्य के) तीन भंग जानने चाहिए। १३. सद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा, असद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा और तदुभय पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा त्रिप्रदेशी स्कन्ध सद्प है, असद्प है और सद्-असद्प होने से अवक्तव्य है। इस कारण से गौतम ! ऐसा कहा जाता है कि"त्रिप्रदेशी स्कन्ध १. कथंचित् सद्प है यावत् १३. कथंचित् सद्रूप, असद्प और सद्-असद् रूप होने से अवक्तव्य है? प्र. भंते ! चतुष्प्रदेशी स्कन्ध सद्रूप है या असद्रूप है? उ. गौतम ! चतुष्प्रदेशी स्कन्ध १०. देसे आइठे असब्भावपज्जवे, देसे आइठे तदुभयपज्जवे, तिपएसिए खंधे नो आया य अवत्तव्वं-आया इय नो आया इय, ११. देसे आइठे असब्भावपज्जवे, देसा आइट्ठा तदुभयपज्जवा, तिपएसिए खंधे नो आया य, अवत्तव्वाइं-आयाओ य नो आयाओ य, १२. देसा आइट्ठा असब्भावपज्जवा, देसे आइठे तदुभयपज्जवे, तिपएसिए खंधे नो आयाओ य, अवत्तव्वं-आया इयनो आया इय,एए तिन्नि भंगा, • १३. देसे आइ8 सब्भावपज्जवे, देसे आइट्ठे असब्भावपज्जवे, देसे आइठे तदुभयपज्जवे, तिपएसिए खंधे आया य, नो आया य, अवत्तव्वं आया इयनो आया इय, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ"तिपएसिए खंधे १. सिय आया जाव १३. सिय आया य,नो आया य,अवत्तव्यं आया इय नो आया इय। प. आया भन्ते ! चउप्पएसिए खंधे,अन्ने चउप्पएसिए खंधे? उ. गोयमा !चउप्पएसिएखंधे
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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