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________________ १७९० अहवा-तिन्नि दुप्पएसिया खंधा भवंति। चउहा कज्जमाणेएगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुप्पएसिया खंधा भवंति। पंचहा कज्जमाणेएगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ, छहा कज्जमाणे छपरमाणु पोग्गला भवंति। प. सत्त भंते ! परमाणु पोग्गला एगयओ साहन्नंति, एगयओ साहण्णित्ता किं भवइ? उ. गोयमा ! सत्तपएसिए खंधे भवइ, से भिज्जमाणे दुहा विजाव सत्तहा वि कज्जइ। दुहा कज्जमाणेएगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओछप्पएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ। तिहा कज्जमाणेएगयओ दो परमाणु पोग्गला, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ परमाणु पोग्गले, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति, अहवा-एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ। चउहा कज्जमाणेएगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति। पंचहा कज्जमाणेएगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, ( द्रव्यानुयोग-(२) अथवा-तीन द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं। चार विभाग किये जाने परएक ओर तीन परमाणु पुद्गल, एक ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर दो परमाणु पुद्गल, एक ओर दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं। पाँच विभाग किये जाने परएक ओर चार परमाणु पुद्गल, एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है, छह विभाग किये जाने पर छह परमाणु पुद्गल होते हैं। प्र. भंते ! सात परमाणु पुद्गल एक साथ मिलते हैं और एक साथ मिलने पर क्या होता है? उ. गौतम ! सप्त-प्रदेशिक स्कन्ध होता है। उसका भेदन किये जाने पर दो यावत् सात विभाग होते हैं। दो विभाग किये जाने परएक ओर एक परमाणु पुद्गल, दूसरी ओर एक षट्प्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है। एक ओर पाँच प्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है, एक ओर चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध होता है। तीन विभाग किये जाने परएक ओर दो परमाणु पुद्गल, एक ओर पंचप्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध, एक ओर चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर दो त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं। अथवा-एक ओर दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं, एक ओर एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है। चार विभाग किये जाने परएक ओर तीन परमाणु पुद्गल, एक ओर एक चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा-एक आर दो परमाणु पुद्गल, एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध, एक ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर तीन द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं। पाँच विभाग किये जाने पर एक ओर चार परमाणु पुद्गल, एक ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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