SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 334
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पुद्गल अध्ययन १७८९ १.एगयओ परमाणुपोग्गले, २. एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा-दो दुपएसिया खंधा भवंति, तिहा कज्जमाणेएगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए खंधे भवइ, चउहा कज्जमाणे चत्तारि परमाणुपोग्गला भवंति। प. पंच भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहन्नंति, एगयओ साहण्णित्ता किं भवइ? उ. गोयमा ! पंचपएसिए खंधे भवइ, से भिज्जमाणे दुहा वि,तिहा वि, चउहा वि पंचहा वि कज्जइ, दुहा कज्जमाणेएगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, तिहा कज्जमाणेएगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ तिप्पएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति। चउहा कज्जमाणेएगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए खंधे भवइ, पंचहा कज्जमाणे पंच परमाणुपोग्गला भवंति। प. छब्भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहन्नंति, एगयओ साहण्णित्ता किं भवइ? उ. गोयमा ! छप्पएसिए खंधे भवइ, से भिज्जमाणे दुहा वि, तिहा वि, चउहा वि, पंचहा वि, छव्विहा वि, कज्जइ। दुहा कज्जमाणेएगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ, अहवा-दो तिपएसिया खंधा भवंति। तिहा कज्जमाणेएगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, एक ओर (एक) परमाणु पुद्गल, एक ओर एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है, अथवा-दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं। तीन विभाग किये जाने परएक ओर दो परमाणु पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है। चार विभाग किये जाने पर चार परमाणु पुद्गल होते हैं। प्र. भंते ! पाँच परमाणु पुद्गल एक साथ मिलते हैं और एक साथ मिलने पर क्या होता है? उ. गौतम ! पंचप्रदेशिक स्कन्ध बनता है। उसका भेदन होने पर दो, तीन, चार या पाँच विभाग होते हैं। दो विभाग किये जाने परएक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर एक चतुष्पदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध, एक ओर एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है। तीन विभाग किये जाने परएक ओर दो परमाणु पुद्गल, एक ओर एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है, अथवा-एक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं। चार विभाग किये जाने परएक ओर तीन परमाणु पुद्गल, एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है। पाँच विभाग किये जाने पर पाँच परमाणु पुद्गल होते हैं। प्र. भंते ! छह परमाणु पुद्गल एक साथ मिलते हैं और एक साथ मिलने पर क्या होता है? उ. गौतम ! षट्प्रदेशिक स्कन्ध बनता है। उसका भेदन होने पर दो, तीन, चार, पाँच और छह विभाग होते हैं। दो विभाग किये जाने परएक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर पंचप्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध, एक ओर चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा-दो त्रिप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। तीन विभाग किये जाने परएक ओर दो परमाणु पुद्गल, एक ओर चतुष्पदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध, एक ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy