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________________ पुद्गल अध्ययन १७७९ ५. चतुष्कोण, ६. पृथुल (विस्तीर्ण) ७. परिमण्डल (चूड़ी के भाँति गोल) प्र. भंते ! संस्थान कितने कहे गए हैं? उ. गौतम ! संस्थान छह प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. परिमण्डल, २. वृत्त, ३. त्रिकोण, ४. चतुष्कोण, ५. आयत (लंबा) ६. अनियत। ५. चउरंसे. ६. पिहुले, ७. परिमंडले। -ठाणं.अ.७,सु.५४८ प. कइणं भंते ! संठाणा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! छ संठाणा पण्णत्ता,तं जहा १. परिमंडले, २. वट्टे, ३. तंसे, ४. चउरंसे, ५. आयते, ६. अणित्थंथे। -विया.स.२५, उ.३,सु.१ २८. छण्हं संठाणाणं दव्वट्ठयाहिं अणंतत्त परूवणंप. परिमंडलाणं भंते ! संठाणा दव्वट्ठयाए किं संखेज्जा, असंखेज्जा,अणंता? उ. गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा,अणंता। प. वट्टा णं भंते ! संठाणा दव्वट्ठयाए किं संखेज्जा असंखेज्जा अणंता? उ. गोयमा ! एवं चेव। एवं जाव अणित्थंथा। एवं पएसट्ठयाए वि। एवं दव्वट्ठ-पएसट्ठयाए वि। -विया.स.२५ उ.३,सु.२-५ २९. छण्हं संठाणाणं दव्वट्ठयाईहिं अप्पाबहुयंप. एएसि णं भंते ! परिमंडल-वट्ट-तंस-चतुरंस-आयत अणित्थंथाणं संठाणाणं दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दव्वट्ठ-पएसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा? उ. गोयमा ! १.सव्वत्थोवा परिमंडला दव्वट्ठयाए, २८. छह संस्थानों का द्रव्यादि की अपेक्षा अनन्तत्व का प्ररूपणप्र. भंते ! परिमण्डल संस्थान द्रव्य की अपेक्षा क्या संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त हैं? उ. गौतम ! वे संख्यात और असंख्यात नहीं हैं, किन्तु अनन्त हैं। प्र. भंते ! वृत्त संस्थान द्रव्य की अपेक्षा क्या संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त हैं? उ. गौतम ! पूर्ववत् (अनन्त) हैं। इसी प्रकार अनियत संस्थान-पर्यन्त जानना चाहिए। इसी प्रकार प्रदेश की अपेक्षा और द्रव्य प्रदेश की अपेक्षा भी अनन्त जानना चाहिए। २. वट्टा संठाणा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, ३. चउरंसा संठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ४. तंसा संठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ५. आयता संठाणा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, ६. अणित्थंथा संठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा। पएसट्ठयाए१. सव्वत्थोवा परिमंडला संठाणा पएसट्ठयाए, २. वट्टा संठाणा पएसट्ठयाए संखेज्जगुणा, ३. चउरंसा संठाणा पएसट्ठयाए संखेज्जगुणा, ४. तसा संठाणां पएसट्ठयाए संखेज्जगुणा, ५. आयता संठाणा पएसट्ठयाए संखेज्जगुणा, ६. अणित्थंथा संठाणा पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा। २९. छह संस्थानों का द्रव्यादि की अपेक्षा अल्पबहुत्वप्र. भंते ! इन १. परिमण्डल, २. वृत्त,३. त्रिकोण, ४. चतुष्कोण, ५.आयत और ६.अनियत संस्थानों में द्रव्य, प्रदेश और द्रव्य प्रदेश की अपेक्षा कौन-किन संस्थानों से अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उ. गौतम ! १. द्रव्य की अपेक्षा परिमण्डल संस्थान सबसे अल्प हैं, २.(उनसे) वृत्त-संस्थान द्रव्य की अपेक्षा संख्यातगुणे हैं, ३.(उनसे) चतुरन-संस्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, ४.(उनसे) त्रिकोण संस्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं, ५.(उनसे) आयत-संस्थान द्रव्य की अपेक्षा संख्यातगुणे हैं, ६.(उनसे) अनियत संस्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुणे हैं। प्रदेश की अपेक्षा१.परिमण्डल-संस्थान प्रदेश की अपेक्षा सबसे अल्प हैं, २.(उनसे) वृत्त संस्थान प्रदेश की अपेक्षा संख्यातगुणे हैं, ३.(उनसे) चतुरन संस्थान प्रदेश की अपेक्षा संख्यातगुणे हैं, ४.(उनसे) त्रिकोण संस्थान प्रदेश की अपेक्षा संख्यातगुणे हैं, ५.(उनसे) आयत संस्थान प्रदेश की अपेक्षा संख्यातगुणे हैं, ६.(उनसे) अनियत संस्थान प्रदेश की अपेक्षा असंख्यात गुणे हैं। द्रव्य प्रदेश की अपेक्षा१. द्रव्य की अपेक्षा परिमण्डल संस्थान सबसे अल्प हैं, दव्वट्ठपएसट्ठयाए १. सव्वत्थोवा परिमंडला संठाणा दव्वट्ठयाए, १. पण्ण. प.१०, सु.७९१
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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