SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री वृद्धिचन्द जी मेघराज जी, सांडेराव श्री स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सांडेराव एवं वर्धमान महावीर केन्द्र आबू पर्वत के आप प्रमुख कार्यकर्ता हैं। महावीर केन्द्र में कार्यालय का आपकी ओर से ही निर्माण हुआ है। आयंबिल ओली का सफल संचालन आप ही करते रहे हैं। श्री मूलचन्द जी, शेषमल जी, उम्मेदमल जी एवं आप चार भाइयों में सबसे बड़े हैं। पूज्य गुरुदेव के अनन्य भक्त हैं। आगम अनु योग ट्रस्ट के आप सक्रिय सहयोगी हैं। श्रीमती शान्ताबेन कांन्तिलाल जी गाँधी, बम्बई आप धर्म में दृढ़ श्रद्धा वाली श्राविका हैं। आपके पतिदेव बहुत ही उदार हृदयी एवं सरल स्वभाव के सज्जन थे। बम्बई में कपड़े का व्यवसाय है एवं बहुत-सी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। श्री वर्धमान महावीर केन्द्र आबू पर्वत के प्रमुख सहयोगी कार्यकर्ता हैं। पूज्य गुरुदेव श्री जी के प्रति आप दोनों की अनन्य श्रद्धा भक्ति रही है। आगम अनुयोग ट्रस्ट के सहयोगी हैं। स्व. श्री माणकचन्दजी बाफणा, बड़गाँव आप महाराष्ट्र के प्रसिद्ध श्रावकों में थे। आचार्य सम्राट् श्री आनन्द ऋषिजी महाराज के प्रति आपकी दृढ़ श्रद्धा थी, तथा धार्मिक परीक्षा बोर्ड के प्रमुख कार्यकर्ता थे। बड़गाँव में छह दीक्षा एक साथ कराने का महान् लाभ आपने लिया था। आगम अनुयोग ट्रस्ट के आप प्रमुख सहयोगी थे। स्व. श्री हिम्मतमल जी, प्रेमचन्द जी, सांडेराव आप बहुत ही सरल आत्मा, भावनाशील, उदार हृदयी सुश्रावक थे। साड़ेराव संघ के आप बहुत ही अच्छे कार्यकर्ता थे। श्री वर्धमान महावीर केन्द्र आबू पर्वत के आप ट्रस्टी थे। आपके सुपुत्र श्री देवीचन्द जी, श्री विमलकुमार जी, श्री रमेशकुमार जी भी उसी प्रकार सेवाभावी उदार भावना वाले हैं। सांडेराव संघ व आबू पर्वत केन्द्र की प्रवृत्तियों का संचालन करते हैं। पूज्य गुरुदेव के प्रति अनन्य भक्ति है। आगम अनुयोग ट्रस्ट के सहयोगी बने हैं। स्व. श्री पृथ्वीराज जी कोचेटा, पीलवा (नागौर) आप बहुत ही धार्मिक रुचि वाले श्रावक थे। आपके सुपुत्र श्री पारसमल जी, हुक्मीचन्द जी, चांदमल जी ओम जी आदि पिता के आज्ञाकारी सुपुत्र और धार्मिक प्रवृत्ति वाले श्रावक हैं। पाली, इचलकरंजी, माधवनगर, सांगली आदि में आपके व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं। पूज्य गुरुदेव श्री कन्हैयालाल जी म. के प्रति आपके सभी परिवार की विशेष भक्ति है। श्री हुक्मीचन्द जी ने इस प्रकाशन में रुचिपूर्वक सहयोग प्रदान किया है।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy