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________________ Mo No Me Na 5000000000000000000000000000000 se श्री सरखार मलजी सा. सामसुखा व श्रीमती उछबकंवरबाई सामसुखा (बम्बई) आप बहुत धार्मिक भावना वाले व उदार स्वभाव के थे। प्रतिदिन सामायिक आदि की प्रवृत्ति में लीन रहते थे। NENENE: | आपके सुपुत्र श्री अक्षयकुमारजी आदि का मरुधर इलेक्ट्रिकल्स के नाम से बम्बई में बहुत बड़ा व्यवसाय है। पूरा धार्मिक 'परिवार बहुत भावना वाला है, पूज्य मरुधर केसरी जी म. के प्रति विशेष श्रद्धा भक्ति थी, उपाध्याय श्री जी एवं प्रर्वत्तक श्री जी के प्रति भी विशेष श्रद्धा रखते हैं भावना आनुपूर्वी एवं नन्दी सूत्र (गुटका साइज) के विमोचन का अवसर भी आपको प्राप्त हुआ। आपने आगम अनुयोग ट्रस्ट में विशेष सहयोग दिया। स्व. श्री रतीलाल जी चुनीलाल जी सोलंकी, सादड़ी (मारवाड़) आप बहुत ही भावनाशील धर्म श्रखालु सुश्रावक थे। समाज के बहुत ही अच्छे कार्यकर्ता थे। श्री राजस्थान स्थानकवासी जैन संघ, साबरमती स्था. जैन संघ के आप ट्रस्टी थे। आपके सुपुत्र श्री रमेश भाई, गजेश भाई, हरिश भाई आदि भी उसी प्रकार सेवा आदि कार्यों में संलग्न हैं। वस्त्र एवं फाइनेन्स आदि का अहमदाबाद में व्यवसाय है। आगम अनुयोग ट्रस्ट के आप सहयोगी सदस्य हैं। श्री पारसमल जी, लुणकरण जी लुणावत, अहमदाबाद आप मूलतः निम्बोल ( जिला - पाली) राजस्थान निवासी हैं। बहुत ही अच्छे सेवाभावी कार्यकर्त्ता हैं। श्री स्थानकवासी जैन संघ मणीनगर ( अहमदाबाद) के आप अध्यक्ष हैं। आपके ओटो फाइनेन्स का व्यवसाय है। बहुत ही उवार भावना वाले सज्जन व्यक्ति हैं। आपने अनुयोग ट्रस्ट में विशेष सहयोग दिया है। स्व. श्री जवाहर लाल जी एस. कोठारी, रणसी गाँव (राज.) आप बहुत ही धर्मानुरागी सुश्रावक थे। आपके बड़े सुपुत्र श्री बुद्धमल जी कोठारी तमिलनाडू में व्यवसाय करते हैं । द्वितीय सुपुत्र श्री पदमचन्द जी अहमदाबाद में फाइनेन्स का व्यवसाय करते हैं। एलीब्रीज स्थानकवासी जैन संघ, युवक मंडल, राजस्थानी संघ, राजस्थान सेवा समिति और ओटो फाइनेन्स एसोसियेशन आदि अनेक संस्थाओं के आप प्रमुख सेकेट्री आदि पदों से संलग्न हैं। बहुत ही भावनाशील सेवाभावी कार्यकर्त्ता हैं। आपके भ्राता श्री चैनराज जी एवं मेष कुमार जी आदि भी फाइनेन्स के व्यवसाय में ही हैं। आजम अनुयोग ट्रस्ट में सहयोग प्रदान किया है। Search are a Goo Goo G
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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