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________________ १७५६ प. दुपएसिए णं भंते ! खंधे कइवन्ने, कइगंधे, कइरसे, कइफासे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफासे पण्णत्ते, जइ एगवन्नेसिय कालए जाव सिय सुक्किल्लए, जइ दुवन्ने१. सिय कालए य नीलए य, २. सिय कालए य लोहियए य, ३. सिय कालए य हालिद्दए य, ४. सिय कालए य सुक्किल्लए य, ५. सिय नीलए य लोहियए य, ६. सिय नीलए य हालिद्दए य, ७. सिय नीलए य सुक्किल्लए य, ८. सिय लोहियए य हालिद्दए य, ९. सिय लोहियए य सुक्किल्लए य, १०. सिय हालिद्दए य सुक्किल्लए य, एवं एए दुयासंजोगे दस भंगा। जइ एगगंधे१. सिय सुब्भिगंधे, २. सिय दुब्भिगंधे। जइ दुगंधेसुब्भिगंधे य, दुभिगंधे य। रसेसु जहा वन्नेसु।(१५) 'जइ दुफासे१-४ सिय सीए य निद्धे य, एवं जहेव परमाणुपोग्गले। जइ तिफासे१. सव्वे सीए, देसे निद्धे, देसे लुक्खे, द्रव्यानुयोग-(३) प्र. भंते ! द्विप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाला कहा गया है? उ. गौतम ! कदाचित् एक वर्णवाला, कदाचित् दो वर्ण वाला, कदाचित् एक गंध वाला, कदाचित् दो गंध वाला, कदाचित् एक रस वाला, कदाचित् दो रस वाला, कदाचित् दो स्पर्श वाला, कदाचित् तीन स्पर्श वाला, कदाचित् चार स्पर्श वाला कहा गया है। यदि एक वर्ण वाला हो तोकदाचित् काला यावत् कदाचित् श्वेत वर्ण वाला होता है। यदि दो वर्ण वाला हो तो१. कदाचित् काला और नीला, २. कदाचित् काला और लाल, ३. कदाचित् काला और पीला, ४. कदाचित् काला और श्वेत, ५. कदाचित् नीला और लाल, ६. कदाचित् नीला और पीला, ७. कदाचित् नीला और श्वेत, ८. कदाचित् लाल और पीला, ९. कदाचित् लाल और श्वेत, १०. कदाचित् पीला और श्वेत, इस प्रकार ये द्विकसंयोगी दस भंग होते हैं। यदि एक गन्ध वाला हो तो१. कदाचित् सुरभिगन्ध, २. कदाचित् दुरभिगन्ध वाला होता है। यदि दो गन्ध वाला हो तोसुरभिगन्ध और दुरभिगन्ध वाला होता है। रसों के भंग वर्गों के समान कहने चाहिए। (१५ भंग) यदि दो स्पर्श वाला हो तो१-४. कदाचित् शीत और स्निग्ध इत्यादि परमाणु पुद्गल के समान चार भंग कहने चाहिए। यदि वह तीन स्पर्श वाला हो तो१. सर्वशीत होता है, उसका एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। २. सर्व उष्ण होता है, उसका एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। ३. सर्व स्निग्ध होता है, उसका एक अंश शीत और एक अंश उष्ण होता है। ४. सर्वरुक्ष होता है, उसका एक अंश शीत और एक अंश उष्ण होता है। यदि यह चार स्पर्श वाला हो तो१. उसका एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। २. सव्वे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे, ३. सव्वे निद्धे, देसे सीए, देसे उसिणे, ४. सव्वे लुक्खे, देसे सीए, देसे उसिणे, जइ चउफासे१. देसे सीए, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे, १. विया.स.१८,उ.६.सु.७
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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