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________________ पुद्गल अध्ययन १७५५ सेसंतं चेव। एवं पंचपएसिए वि, णवरं-सिय एगवन्ने जाव सिय पंचवन्ने, एवं रसेसु विगंधफासा तहेव। जहा पंचपएसिओ, एवं जाव असंखेज्जपएसिओ। प. सुहमपरिणए णं भंते ! अणंतपएसिए खंधे कइवन्ने जाव कइफासे पण्णते? उ. गोयमा ! जहा पंचपएसिए तहेव निरवसेसं। प. बायरपरिणए णं भंते ! अणंतपएसिए खंधे कइवन्ने जाव कइफासे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! सिय एगवन्ने जाव सिय पंचवन्ने, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे जाव सिय पंचरसे, सिय चउफासे जाव सिय अट्ठफासे पण्णत्ते। -विया.स.१८,उ.६,सु६-१३ १०. परमाणु पोग्गले खंधेसुय वित्थरओ वण्णाइ भंग परूवणं प. परमाणु पोग्गले णं भंते ! कइवन्ने, कइगंधे, कइरसे, कइफासे पण्णते? उ. गोयमा ! एगवन्ने, एगगंधे, एगरसे, दुफासे पण्णत्ते।' जइ एगवन्ने१. सिय कालए, २. सिय नीलए, ३. सिय लोहिए, ४. सिय हालिद्दए, ५. सिय सुकिल्लए। जइ एगगन्धे१. सिय सुब्भिगंधे, २. सिय दुब्भिगंधे। जइ एगरसे१. सिय तित्ते, २. सिय कडुए, ३. सिय कसाए, ४. सिय अंबिले, ५. सिय महुरे। जइ दुफासे१. सिय सीए य निद्धे य, २. सिय सीए य लुक्खे य, ३. सिय उसिणे य निद्धे य, ४. सिय उसिणे य लुक्खे य, शेष वर्णन पूर्ववत् है। इसी प्रकार पाँच प्रदेशी स्कन्ध के सम्बन्ध में भी कहना चाहिए। विशेष-कदाचित् एक वर्ण वाला यावत् कदाचित् पाँच वर्ण वाला होता है। इसी प्रकार (पाँच प्रदेशी स्कन्धों के) रसों के सम्बन्ध में तथा गंध और स्पर्श के सम्बन्ध में पहले के समान कहना चाहिए। जिस प्रकार पंचप्रदेशी स्कन्ध के सम्बन्ध में कहा उसी प्रकार असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध पर्यन्त कहना चाहिए। प्र. भंते ! सूक्ष्मपरिणाम वाला अनन्त प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाला कहा गया है? उ. गौतम ! जैसा पंच प्रदेशी स्कन्ध के सम्बन्ध में कहा उसी प्रकार सम्पूर्ण वर्णन कहना चाहिए। प्र. भंते ! बादर-स्थूल परिणाम वाला अनन्त प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला यावत् कितने स्पर्श वाला कहा गया है? उ. गौतम ! कदाचित् एक वर्ण वाला यावत् कदाचित् पाँच वर्ण वाला, कदाचित् एक गंध वाला और कदाचित् दो गंध वाला, कदाचित् एक रसवाला यावत् कदाचित् पाँच रस वाला, कदाचित् चार स्पर्श वाला यावत् कदाचित् आठ स्पर्श वाला कहा गया है। १०. परमाणु पुद्गल और स्कन्धों में विस्तार से वर्णादि के भंगों का प्ररूपणप्र. भंते ! परमाणु-पुद्गल कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाला कहा गया है? उ. गौतम ! (वह) एक वर्ण, एक गन्ध, एक रस और दो स्पर्श वाला कहा गया है, यदि एक वर्ण वाला हो तो१. कदाचित् काला, २. कदाचित् नीला, ३. कदाचित् लाल, ४. कदाचित् पीला, ५. कदाचित् श्वेत वर्ण वाला होता है। यदि एक गन्ध वाला हो तो१. कदाचित् सुरभिगन्ध, २. कदाचित् दुरभिगन्ध वाला होता है। यदि एक रस वाला हो तो१. कदाचित् तीखा, २. कदाचित् कटुक, ३. कदाचित् कसैला, ४. कदाचित् खट्टा, ५. कदाचित् मीठा (मधुर) रस वाला होता है। यदि दो स्पर्श वाला हो तो१. कदाचित् शीत और स्निग्ध, २. कदाचित् शीत और रुक्ष, ३. कदाचित् उष्ण और स्निग्ध, ४. कदाचित् उष्ण और रुक्ष स्पर्श वाला होता है। (इस प्रकार परमाणु पुद्गल में वर्ण के पाँच, गन्ध के दो, रस के पाँच और स्पर्श के चार यों कुल मिला कर सोलह भंग पाए जाते हैं।) १. विया.स.१८,उ.६,सु.६
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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